पाकिस्तान की नेशनल असेंबली का लोअर हाउस भंग होने के बाद 90 दिनों के भीतर चुनाव कराए जाने जरूरी हैं। लेकिन इसके लिए एक केयरटेकर सरकार की जरूरत थी। एक अदद ऐसे चेहरे की जो सरकार को लीड कर सके। अपदस्थ पीएम शहबाज शरीफ और नेता विपक्ष राजा रियाज के पाले में गेंद थी कि किसे केयरटेकर सरकार का जिम्मा दिया जाए। जद्दोजहद चल रही थी कि अचानक अनवर उल हक काकर का नाम सामने आ गया।
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक काकर के नजदीकी लोगों को भी नहीं पता था कि वो केयरटेकिंग पीएम बनने वाले हैं। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के नेता और लोग कयास लगा ही रहे थे कि कौन केयरटेकर पीएम बनेगा। शहबाज और राजा रियाज किसी एक नाम पर सहमति बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे थे। लेकिन इसी बीच काकर का नाम सामने आया और सभी को उस पर सहमत होना पड़ा।
पहली बार 2018 में सांसद बने थे काकर
अनवर उल हक काकर को 2018 में बलूचिस्तान से सांसद चुना गया था। उनका कार्यकाल मार्च 2024 में समाप्त होगा। काकर ने 2018 में गठित बलूचिस्तान अवामी पार्टी के लिए संसदीय नेता की भूमिका निभाई। उन्होंने पांच साल की लंबी अवधि तक इस जिम्मेदारी को संभाला। क्वेटा के बाद लंदन में पढ़े और 2005 में ही पाकिस्तान लौटे 51 साल के काकर बलूचिस्तान अवामी पार्टी से हैं। इस दल को सेना के खासा नजदीक माना जाता है। पाकिस्तान की मीडिया में चर्चा है कि जब शहबाज और राजा रियाज किसी एक नाम पर सहमति नहीं बना पा रहे थे तब सेना की तरफ से इशारा हुआ कि काकर के नाम की अनाउंसमेंट केयरटेकिंग पीएम के लिए की जाए। उसके बाद तुरंत राष्ट्रपति को उनका नाम भेज दिया गया।
हालांकि शहबाज और राजा रियाज के बीच इस बात पर सहमति बनी थी कि कार्यवाहक पीएम एक छोटे प्रांत और गैर-विवादास्पद व्यक्तित्व वाला होना चाहिए। उनका मानना था कि इससे छोटे प्रांतों में अभाव की भावना दूर करने में मदद मिलेगी। लेकिन काकर के नाम की किसी को उम्मीद नहीं थी।
खास बात है कि काकर के कंधों पर अहम जिम्मेदारी है। निचले सदन के भंग होने की तारीख से 90 दिनों के भीतर चुनाव आयोग को चुनाव कराने होंगे। इमरान खान जेल में हैं और वो फिलहाल अगले पांच सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं। हालांकि उनकी पार्टी PTI चुनाव में हिस्सा लेगी। काकर के ऊपर अहम जिम्मेदारी होगी कि वो चुनाव कराकर सेना के मन माफिक सरकार का गठन कराए। 2018 में इमरान सेना की पसंद थे।