उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन एक विदेशी यात्रा पर मंगलवार को रूस पहुंचे। रूसी समाचार एजेंसियों के अनुसार उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग ने गहरे हरे और भूरे रंग की कारों के साथ एक बख्तरबंद ट्रेन में यात्रा की और उनके साथ शीर्ष हथियार उद्योग और सैन्य अधिकारी और उत्तर कोरिया के विदेश मंत्री भी थे। किम जोंग की इस यात्रा पर अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देशों की कड़ी नजर रहेगी क्योंकि वाशिंगटन ने हाल ही में यूक्रेन में मास्को के युद्ध के लिए संभावित हथियार सौदे के खिलाफ उत्तर कोरिया को चेतावनी दी है।

क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि यह एक पूर्ण यात्रा होगी। उन्होंने कहा कि दो प्रतिनिधिमंडलों के बीच बातचीत होगी। विशेषज्ञों के अनुसार यह यात्रा एक तरफ उत्तर कोरिया, रूस और चीन के साथ दक्षिण कोरिया, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ एक नए कोल्ड वार स्ट्रक्चर को प्रदर्शित करता है। यदि उत्तर कोरिया रूस को हथियारों की आपूर्ति करना चुनता है, तो देश के खिलाफ पहले से ही जारी पश्चिमी प्रतिबंध और तेज हो सकते हैं।

उत्तर कोरिया को रूस में क्यों है दिलचस्पी?

विशेषज्ञों का दावा है कि रूस के पास वह सब कुछ है, जो संकटग्रस्त उत्तर कोरियाई अर्थव्यवस्था की मांग है। कोरिया इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल यूनिफिकेशन के वरिष्ठ रिसर्च फेलो चो हान बम ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, “रूस एक खाद्य निर्यात देश, एक उर्वरक निर्यात देश, एक ऊर्जा निर्यात देश है।”

वहीं इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के एक शोधकर्ता जोसेफ डेम्पसी ने कहा कि उत्तर कोरिया अपने हथियार उद्योग को आगे बढ़ाने और अधिक टिकाऊ बनाने के लिए प्रमुख प्रौद्योगिकियों, ज्ञान और विनिर्माण क्षमता के ट्रांसफर की मांग कर सकता है। इसके अलावा रूस से निकटता का मतलब उत्तर कोरिया के लिए कूटनीतिक लाभ भी है, जो चीन के लिए एक संदेश है।

उत्तर कोरिया से क्या चाहता है रूस?

रूस विशेष रूप से तोपखाने के गोले में रुचि रखता है जिन्हें आसानी से एकीकृत किया जा सकता है। जोसेफ डेम्पसी ने एएफपी को बताया, “उत्तर कोरिया संभवतः सोवियत काल की विरासत वाले तोपखाने के गोले और तोपखाने के सबसे बड़े भंडार का प्रतिनिधित्व करता है, जिसका उपयोग यूक्रेन संघर्ष से समाप्त हो चुके रूसी भंडार को बहाल करने के लिए किया जा सकता है।” इसके अलावा अन्य देशों के विपरीत उत्तर कोरिया ने पश्चिमी प्रतिबंधों की धमकियों के खिलाफ खड़े होने की इच्छाशक्ति दिखाई है। 2022 में उत्तर कोरिया ने वैगनर समूह को रॉकेट और मिसाइलें प्रदान कीं थीं।