सिख समुदाय के कई सदस्यों ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव और पंजाब में रहने वाले लोगों के जीवन पर इसके असर को लेकर अपनी चिंताएं जताते हुए संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। ‘सेव पंजाब रैली’ का आयोजन अधिकार समूह सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने नागरिक अधिकार समूहों और उत्तर अमेरिका के गुरुद्वारों की प्रबंधन समितियों के साथ मिल कर किया। इस रैली ने पंजाब में जनमत संग्रह की भी मांग की।
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के सामने बनी सड़क पर आयोजित रैली में प्रदर्शनकारियों ने अपने हाथों में तख्तियां पकड़ी हुई थीं, जिन पर लिखा था, ‘भारत के उन्मादी राष्ट्रवादी युद्ध का बहिष्कार करो’ और ‘पंजाब जनमत संग्रह का समर्थन करो’। इन प्रदर्शनकारियों में खालिस्तान-समर्थक सिख भी मौजूद थे।
एसएफजे ने संयुक्त राष्ट्र में उरूग्वे के स्थानीय मिशन के अधिकारियों को एक ज्ञापन सौंपा। उरूग्वे सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य देशों में से एक है और यह जनवरी में परिषद की अध्यक्षता संभालेगा। इसमें आरोप लगाया गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण पंजाब के हजारों सिख किसानों को घर खाली करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे ‘वे शरणार्थी बन रहे हैं।’
एसएफजे के कानूनी सलाहकार ने कहा कि युद्ध कोई समाधान नहीं है और पंजाब में जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए।भारतीय सेना के 28 सितंबर को नियंत्रण रेखा के पार लक्षित हमले किए जाने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की खबरें हैं, जिनसे पंजाब के कई सीमावर्ती जिलों के निवासियों में घबराहट का माहौल है। प्रशासन ने भी अंतरराष्ट्रीय सीमा के दस किलोमीटर के दायरे में पड़ने वाले गांवों के लोगों से उनके घरों को खाली कराना शुरू कर दिया है। स्थानीय गुरुद्वारों, मंदिरों के प्रमुखों और सरपंचों की मदद से लोगों को मकान खाली करने के लिए कहा गया।
पंजाब पाकिस्तान के साथ 553 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। इसके छह जिले अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब पड़ते हैं। लगभग 135 गांव अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक पड़ते हैं।