भारतीय पत्रकारों का एक प्रतिनिधिमंडल इजरायल दौरे पर है। प्रतिनिधिमंडल में सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंर्स और तीन कश्मीरी मुस्लिम लेखक भी हैं। इजरायल के एक मीडिया ग्रुप ने बताया कि यह यात्रा विश्व में अपनी स्थिति को मजबूत करने के इजरायल के प्रयासों के अनुरूप है। प्रतिनिधिमंडल में एक अफगान पत्रकार भी शामिल है।

कश्मीर की पहली मुस्लिम महिला ब्लॉगर याना मीर ने कहा कि हमास ने जो बुरे काम किए हैं, उनके लिए समर्थन कैसे करूं? याना मीर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाखों समर्थक हैं। उन्होंने कहा कि 9 साल की उम्र में ईसाई धर्म के जन्म के बारे में बच्चों की किताब पढ़ने से उनका विश्वदृष्टिकोण बदल गया। उन्हें कश्मीर में मिल रही शिक्षा और उस किताब में पढ़ी बातों में विरोधाभाष नजर आने लगा क्योंकि कश्मीर में यह पढ़ाया जाता रहा है कि इज़राइल मुसलमानों की भूमि है।

कॉलमिस्ट इरफ़ान अली पीरजादे ने कहा, “याद वाशेम होलोकॉस्ट संग्रहालय का दौरा करने के बाद हमें यह महसूस हुआ कि हमास क्या कर रहा है।” द रियल कश्मीर न्यूज़ के संस्थापक और सीईओ साजिद यूसुफ शाह (कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रमुख) ने कहा, “मैं मुस्लिम हूं, लेकिन यहूदी जीवन और सम्मान के लायक हैं। यह जमीन का मामला नहीं है लेकिन अस्तित्व का मामला है।”

साजिद यूसुफ शाह ने कहा कि उनकी मां और चाचा को कश्मीर में इस्लामी आतंकवादियों ने उनके चार वर्षीय चचेरे भाई के सामने मार डाला था। हमास के हमले से प्रभावित दक्षिणी किबुत्ज़िम में भी प्रतिनिधिमंडल जाएगा। ये जगह युद्ध का केंद्र बन गया है और येरूशलम में याद वाशेम होलोकॉस्ट सेंटर और नेसेट में पारंपरिक टूरिज्म स्थल हैं। प्रतिनिधिमंडल की यात्रा का पूरा खर्च Sharaka संगठन उठा रहा है। Sharaka के अध्यक्ष अमित डेरी ने कहा, “विशेष रूप से इस समय हमारे लिए पत्रकारों और सोशल मीडिया इन्फ़्लुएंर्स के इस समूह को सच्चाई से रूबरू कराना महत्वपूर्ण था ताकि वे इस कहानी को भारत में अपने लाखों पाठकों और चाहने वालों तक पहुंचा सकें।”

प्रतिनिधिमंडल में अफगान पत्रकार अब्दुलहक ओमेरी ने कहा कि यात्रा से पहले उन्हें इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं था कि इजरायली नागरिकों में 20 प्रतिशत मुसलमान हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यरूशलेम में अल-अक्सा मस्जिद का दौरा करने और मुसलमानों को सुनने में खुशी हुई।