जो बाइडेन ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से अपना नाम पीछे खीच लिया है, अब वे इस रेस से बाहर हो चुके हैं। लेकिन उनकी तरफ से उप राष्ट्रपित कमला हैरिस के नाम का प्रस्ताव आगे रखा गया है, वे चाहते हैं कि डेमोक्रेट्स उनके इस फैसले का स्वागत करें और कमला को ही राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए। उनकी तरफ से एक बयान भी जारी कर दिया गया है, उन्होंने उम्मीद जताई है कि पार्टी इस नाम का खुलकर समर्थन करेगी।

जो बाइडेन ने कमला हैरिस के लिए क्या बोला?

राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि मेरे डेमोक्रेट साथियों, मैंने नॉमिनेशन ना स्वीकार करने का फैसला किया है, अब मैं अपनी सारी ऊर्जा बस वर्तमान कार्यकाल को पूरा करने में लगाना चाहता हूं। 2020 में भी मेरा पहला फैसला कमला हैरिस को ही बतौर उप राष्ट्रपति का नॉमिनी चुनना था। मैं मानता हूं वो मेरा सबसे उम्दा फैसला था। आज फिर मैं अपना पूरा समर्थन कमला को देता हूं, उन्हें अपनी पार्टी का नॉमिनी बनता हुआ देखना चाहता हूं। डेमोक्रेट्स समय आ गया है कि ट्रंप को हराने के लिए हम एकजुट हो जाएं।

जो बाइडेन नहीं लड़ेंगे राष्ट्रपति चुनाव

कौन हैं कमला हैरिस?

जानकारी के लिए बता दें कि साल 2016 में सीनेटर चुने जाने से पहले कमला हैरिस एक जानी मानी वकील के रूप में मशहूर थीं।  हैरिस का जन्म कैलिफोर्निया के ऑकलैंड में हुआ था। वह कैलिफोर्निया की पूर्व अटॉर्नी जनरल और सैन फ्रांसिस्को जिले के अटॉर्नी रह चुकी हैं। एक वकील के रूप में हैरिस 2004 से 2011 तक सैन फ्रांसिस्को जिले की अटॉर्नी थी। वह 2011 से 2017 तक कैलिफोर्निया की अटॉर्नी जनरल रहीं। 

ट्रंप कार्यकाल में कैसे सुर्खियों में रहीं?

हैरिस ने खुद को एक “प्रगतिशील वकील” बताती है। उनका तर्क है कि आपराधिक न्याय प्रणाली की गहरी असमानताओं का सामना करते हुए अपराध पर सख्त होना संभव है। वह कहती हैं कि वह एक वकील बनीं क्योंकि उन्हें विश्वास था कि वह इस प्रणाली को सबसे बेहतर तरीके से बदल सकती है। बड़ी बात यह है कि  2016 में सीनेट के लिए चुनी गईं हैरिस एक दशक से अधिक समय में चैम्बर की पहली अश्वेत महिला थीं। इसके ऊपर कैलिफोर्निया की जूनियर सीनेटर के रूप में अपने अपेक्षाकृत संक्षिप्त समय के दौरान, वह ट्रम्प प्रशासन के अधिकारियों और प्रत्याशियों के गहन पूछताछ के लिए जानी जाती हैं।

इतिहास रच सकती हैं कमला

अब अगर कमला हैरिस को डेमोक्रेट्स भी राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए चुन लेते हैं तो यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय मूल की महिला राष्ट्रपति चुनाव लड़ेगी। वही अगर वे ट्रंप से जीत जाती हैं तो वे अमेरिका की ना सिर्फ पहली महिला राष्ट्रपति होंगी बल्कि भारतीय मूल वाली प्रेसिडेंट भी बन जाएंगी।