जापान ने अपने वार्षिक रक्षा पत्र में क्षेत्र में चीन की आक्रामकता, रूस के साथ उसके बढ़ते सैन्य संबंध और ताइवान पर उसके दावे को लेकर चिंता जताई है। जापान की नई सुरक्षा रणनीति के तहत पहली बार बड़े स्तर पर सैन्य निर्माण का आह्वान किया गया है। प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की कैबिनेट द्वारा स्वीकृत जापान के रक्षा श्वेत पत्र के 2023 संस्करण के अनुसार, द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से मौजूदा सुरक्षा माहौल सबसे खराब स्थिति में है। यह दिसंबर में सरकार द्वारा अपनाई गई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति के तहत पहली योजना है, जिसमें लंबी दूरी की मिसाइलों के साथ हमले की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता बताई गई है।

जटिल सुरक्षा माहौल बनाने में तीन देशों का योगदान अधिक

वार्षिक रक्षा पत्र की 510 पृष्ठों की रपट के अनुसार, ‘द्वितीय विश्वयुद्ध के समाप्त होने के बाद सबसे गंभीर एवं जटिल सुरक्षा माहौल के निर्माण में’ चीन, रूस और उत्तर कोरिया का योगदान सबसे अधिक है। रपट में कहा गया है कि चीन का बाह्य रुख और सैन्य गतिविधियां ‘जापान एवं अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं और यह अभूतपूर्व एवं बड़ी रणनीतिक चुनौती पेश कर रही हैं।’ बमवर्षक विमानों की संयुक्त उड़ान और चीनी एवं रूसी युद्धक जहाजों का संयुक्त नौवहन जापान एवं क्षेत्र की सुरक्षा के संदर्भ में स्पष्ट रूप से जापान के विरुद्ध बल प्रदर्शन और गंभीर चिंता का विषय है।

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रपट में 2035 तक चीन के पास 1,500 परमाणु हथियार होने और ताइवान पर उसके बढ़ते सैन्य प्रभाव का उल्लेख किया गया है, जो क्षेत्रीय तनाव बढ़ाता है और विशेष रूप से ओकिनावा सहित जापान के दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों के लिए सुरक्षा खतरा है। ओकिनावा की लड़ाई के गवाह रहे निवासियों को इस बात की चिंता है कि ताइवान में टकरeव की स्थिति में वे एक बार फिर पीड़ित होंगे।

इस युद्ध में जापान के मुख्य द्वीप पर अमेरिका के हमले को रोकने के प्रयास में जापान की सेना के साथ ओकिनावा के कई लोगों ने बलिदान दिया था। ओकिनावा के गवर्नर डेनी तमाकी ने वहां अमेरिकी सैन्य अड्डों की संख्या घटाने और बेजिंग के साथ कूटनीति और बातचीत के अधिक प्रयास करने का आह्वान किया है। केंद्र सरकार इशिगाकी और योनागुनी सहित सुदूर दक्षिण-पश्चिमी द्वीपों की सुरक्षा को मजबूत कर रही है, जहां मिसाइल सुरक्षा के लिए नए अड्डे स्थापित किए गए हैं।