दक्षिण जापान में 41 लोगों की जान लेने वाले दो जबर्दस्त भूकम्पों की वजह से अब भी 11 लोग लापता हैं जबकि अमेरिकी सेना ने राहत प्रयासों में शामिल होने की घोषणा की है और टोयोटा ने अगले हफ्ते का अपना एक कार्यक्रम निलंबित कर दिया है। हजारों बचावकर्मी लापता लोगों को ढूंढने के लिए पहाड़ी क्षेत्रों में भेजे गए हैं। बचाव हेलीकॉप्टर भी इलाके की छानबीन कर रहे हैं। इस क्षेत्र का ज्यादातर हिस्सा भूस्खलन और पुलों के धंस जाने से सड़क संपर्क से कट गया है। जापान में अमेरिका की बड़े वायुसेना, नौसेना और समुद्री सेना के अड्डे हैं और वहां उसके 50 हजार सैन्यकर्मी हैं। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे ने कहा, ‘हम बहुत आभारी हैं और हम शीघ्रता से तालमेल बनाना चाहेंगे और आपात राहत यथाशीघ्र पहुंचाने में मदद करेंगे।’
कुमामोटो क्षेत्र संकट प्रबंधन विभाग की अधिकारी शियोरी यातबे ने बताया कि 11 लोग लापता हैं। वैसे वह यह नहीं बता पाई कि ये लोग कहां कहां लापता हैं लेकिन जापानी मीडिया ने कहा कि मीनामियासो गांव में आठ लोग लापता हैं। भूकम्प की वजह से शरण पाने को इच्छुक 1,80,000 लोगों में कुछ ने कहा कि खाद्य वितरण बहुत कम है।
भोजन में महज दो कटोरी चावल दिए जा रहे हैं। जापान में अमेरिकी सैन्य बल ने कहा कि वह जापान के राहत प्रयासों में हवाई मदद पहुंचाने की तैयारी कर रहा है। मीनामियासो 1592 मीटर ऊंचाई वाले पहाड़ एसो के दक्षिण पश्चिम में पहाड़ी क्षेत्र है जहां सक्रिय ज्वालामुखी क्षेत्र भी हैं। जापानी टीवी के फुटेज में बचावकर्मियों को प्रयासरत दिखाया गया है।
गुरुवार को आए शुरुआती भूकम्प और उसके बाद आए उससे भी ज्यादा शक्तिशाली भूकम्प से बचने वाले लोगों के लिए मौसम एक अलग मुसीबत लेकर आया है। इसकी वजह से हजारों लोगों को अस्थाई निवास पर रात बितानी पड़ी। हालांकि बुरी तरह प्रभावित माशिकी शहर में लकड़ी से बने कुछ पारंपरिक मकान अछुता रहे और यहां रहने वाले लोगों ने इस तबाही के बीच जीने की मुश्किलों को बयां किया। सेइया ताकामोरी (52) ने नीले रंग की प्लास्टिक की चादर से बने एक शरणस्थल की ओर इशारा करते हुए बताया, ‘मैं कार में सोता हूं और दिन के समय इस तंबू में रहता हूं।’
उन्होंने कहा, ‘हम सब जानते थे कि इस क्षेत्र में माशिकी शहर के नीचे एक सक्रिय भूगर्भीय हलचल चल रही थी लेकिन किसी ने इसकी परवाह नहीं की। हम हमेशा एक दूसरे से कहते थे कि एक और बड़ा भूकम्प इसी जगह पर आएगा लेकिन इस बात को गंभीरता से नहीं लिया गया।’ अन्य निवासी मैसेनोरी मासुदा (59) ने कहा कि पहले भूकम्प के बाद कई मकान ठीक-ठाक थे लेकिन दूसरा भूकम्प आने पर वे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। इसकी वजह से इन मकानों में रहने वाले लोग रोजमर्रा की चीजों से भी वंचित हो गए। उन्होंने कहा, ‘मुझे मेरा मोबाइल फोन चार्ज करने के लिए बैटरी चाहिए, मुझे शौचालय की जरूरत है। मैं टूटे-फूटे मकान में अंदर जाने से डर रहा हूं लेकिन मेरे पास और कोई चारा नहीं है। मैं पानी की एक बाल्टी अपने साथ ले जाता हूं और मुझे मकान के अंदर बना शौचालय इस्तेमाल करना है।’ दो भूकम्पों के कारण कई भूस्खलन हुए हैं।
इस कारण मकान, सड़कें और रेलवे लाइनें ढह गर्इं। भूकम्पों के कारण आधुनिक इमारतों को भी नुकसान हुआ। 90 हजार से ज्यादा लोगों को निकाला जा चुका है। पहले भूकम्प में नौ लोगों की मौत हो गई जबकि दूसरे में 32 लोगों की जान चली गई। सात लाख 40 हजार लोगों वाला शहर कुमामोटो क्युशु के दक्षिणपश्चिम में है। वैसे रविवार सुबह आसमान साफ था। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, कुमामोटो के 80 हजार परिवारों में रविवार से बिजली गुल है।
जापानी मीडिया ने पहले कहा था कि चार लाख परिवार बिना पानी के हैं। दोनों भूकम्पों में 1000 से अधिक मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं जबकि 90 तो पूरी तरह ध्वस्त हो गए। भूकम्प की सबसे अधिक मार माशिकी पर पड़ी है जो कुमामोटो शहर की पूर्वी सीमा पर है। वहां 20 लोगों की जान चली गई