अंतरिक्ष अभियानों में तारों के बीच अंतरिक्ष यानों के भटकने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। अंतरतारिकीय अंतरिक्ष अभियानों के लिए हाल में बनाया गया तारों का नक्शा यात्रा संचालन सरल करेगा। जिस तरीके से अंतरतारिकीय अभियानों की दिशा में काम हो रहा है, उसमें अंतरिक्ष में जाना और वहां से सुरक्षित और जीवित लौटना चुनौतीपूर्ण है। वैज्ञानिक अंतरिक्ष अभियानों को बेहतर सुरक्षित और आसान बनाने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। अंतरिक्ष सबसे बड़ी चुनौती खुद की वास्तविक स्थिति का पता रखना है जिससे यान भटक न जाए। वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष नौवहन (स्पेस नेवीगेशन) की समस्या का एक रास्ता निकाला है।
नौवहन या नेविगेशन शब्द का सबसे पहले नौसेना में उपयोग किया गया। पुराने जमाने में जब लोग जहाज से यात्रा करते थे तो उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह तय करना था कि उनकी स्थिति क्या है और वे यह कैसे तय करेंगे कि वे सही दिशा में जा रहे हैं। इन सभी बातों के लिए उन्होंने नौसंचालन, नौवहन या नेविगेशन का उपयोग किया। आज उपग्रह और उपग्रहीय प्रणालियों ने समुद्री यात्राओं के संचालन की समस्या हल कर दी है। लेकिन अंतरिक्ष में खुद की स्थिति सुनिश्चित कर सही दिशा पहचानने को लेकर काफी सारे शोध होने बाकी हैं। हालांकि, अभी तक जो शोध हुए हैं, उनसे तसवीर काफी हद तक स्पष्ट भी हुई है।
वैज्ञानिकों ने ‘पैरेलेक्स’ पद्धति सुझाई है। यह नया प्रस्ताव अंतरिक्ष यात्रा संचालन की प्रक्रिया को बहुत सरल बनाने का प्रयास है। इसमें तारों की मदद से रास्ता पहचाना जाता है। इसमें एक पुरानी पद्धति पैरेलेक्स के सिद्धांत का उपयोग किया गया है। यदि आप एक उंगली को नाक के आगे रखेंगे और एक बार में एक ही आंख से उसे देखेंगे तो उंगली दूसरी जगह दिखेगी। यह बदली हुई स्थिति दिखने का कारण आंख का अलग-अलग स्थान पर होना है।
यह पद्धति दूर की वस्तुओं की दूरी मापने के लिए उपयोग में लाई जाती थी। पहले वैज्ञानिक इसी तकनीक से तारों की दूरी मापते थे। नई पद्धति में कहा गया है कि अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण से पहले उसमें आसपास के खगोलीय क्षेत्र के सभी तारों का नक्शा होना चाहिए, जिसमें उनकी सटीक स्थिति का विवरण हो।
इसके बाद जैसे-जैसे यान सौरमंडल से दूर जाता है वह दूसरे तारों की दूरी मापेगा। जब तारा किसी सुदूर तारे के पास आएगा तो वह तारा अपनी पिछली जगह से अलग दिखाई देगा जबकि सुदूर के तारे स्थिर ही दिखाई देंगे। बहुत से तारों के जोड़ों के दूरी और उसके पृथ्वी के आधारित नक्शों से तुलना करने पर अंतरिक्ष यान यह पता लगा सकता है कि वह उन तारों से कितनी दूर है। इससे अंतरिक्ष यान की गैलेक्सी में सटीक 3 डी स्थिति का पता चल जाएगा।
फिलहाल अंतरग्रहीय अंतरिक्ष यान संचालन के लिए पृथ्वी के आधार पर बनी प्रणाली पर निर्भर होते हैं। जब हम रेडियो संकेत अंतरिक्ष यान को भेजते हैं वह कुछ देरी से इसका जवाब भेजता है। रेडियो संकेत के बीच के अंतर से ही यान और पृथ्वी के बीच की दूरी की गणना होती है। यह पद्धति धरती के रडार सिस्टम नेटवर्क पर निर्भर करती है, लेकिन यह पद्धति केवल हमारे सौरमंडल के अंदर संचार के लिए काम करती है। अंतरतारिकीय अभियान में हमें नए तरीके से काम करना होगा। यानों को खुद ही अपनी यात्रा संचालन को संभालना होगा। सैद्धांतिक रूप से माना जाता है कि इस तरह के अभियान कम से कम दशकों तक चलने वाले हैं और एक छोटी गलती और अनिश्चितताएं उन्हें आसानी से भटका सकती हैं।