अमेरिकी अंतरिक्ष एजंसी नासा के वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया है कि मंगल पर जैविक नमक (ऑर्गेनिक सॉल्ट) का अस्तित्व हो सकता है। माना जा रहा है कि नमक का भंडार पहले मंगल पर रहे ऐसे जैविक अवयव के हिस्से हैं, जिन्हें नासा का मिशन पहले खोज चुका है। मंगल पर ऑर्गेनिक कंपाउंड और नमक भौगोलिक प्रक्रिया या जीवाणुओं के निशान हो सकते हैं।

नासा के मुताबिक, नमक मिलने से मंगल पर पहले कभी जैविक पदार्थ (ऑर्गेनिक मैटर) मिलने की संभावना को बल मिलता है। साथ ही वहां जीवन मुमकिन होने की भी उम्मीद जगती है। धरती पर ऐसा जीवन देखा गया है, जो ऑर्गेनिक नमक, ऑग्जलेट और एसेटेट पर निर्भर होता है। मंगल पर खोज के लिए जैविक पदार्थों का मिलना नासा के लिए अहम है, लेकिन यह चुनौतीपूर्ण भी है। मंगल की सतह पर रेडिएशन से ऑर्गैनिक मैटर खत्म भी हो सकता है। नासा के रोवर से मिलती-जुलती जानकारी चीनी रोवर झुरांग ने भी भेजी है। चीन का लैंडर बीते शनिवार को मंगल पर उतरा। यह लैंडर रोवर झुरांग के साथ पैराशूट की मदद से नीचे उतरा और वायुमंडल से सात मिनट में सतह पर उतरा। यह मंगल के यूटोपिया प्लैनीशिया पर उतरा है। चीन के रोवर में छह पहिए हैं और यह सौर ऊर्जा से चलता है। इसका वजन करीब 240 किलो है।

यह मंगल पर चट्टानों के नमूने जमा कर आंकड़े धरती पर भेज रहा है। यह करीब तीन महीने तक काम करेगा। नासा का रोवर टेस्टिंग के बाद अपना वैज्ञानिक काम कर रहा है। नासा ने एक हेलिकॉप्टर भी भेजा है, जिसने अपनी पांच सफल उड़ानें पूरी कर ली हैं। इन दोनों देशों के अलावा इस साल संयुक्त अरब अमीरात का अंतरिक्ष यान भी मंगल की कक्षा में पहुंचा है, जो मंगल की कक्षा में चक्कर काटेगा और उसका एक विस्तृत मानचित्र तैयार करेगा।

मंगल की सतह पर उतरने से पहले चीन का यान कई तस्वीरें दे चुका है। एक वीडियो तियानवेन-1 के स्मॉल इंजीनियरिंग सर्वे सब-सिस्टम कैमरे से लिया गया था जिसके फ्रेम में मंगल आता दिख रहा था। इसके बाद मंगल के वायुमंडल का किनारा नजर आया। मंगल की सतह पर मौजूद गड्ढे भी नजर आए। दूसरे वीडियो में तियानवेन-1 के ट्रैकिंग ऐंटेना के मॉनिटरिंग कैमरा से ली गई तस्वीर दिखी थी। इंजिनियरिंग सर्वे सब-सिस्टम में कई छोटे मॉनिटरिंग कैमरे लगे हैं।

इन सभी मिशन का साझा उद्देश्य
मंगल की सतह पर जीवन के संकेत ढूंढ़ना। नासा के गॉडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में जैविक रसायनशास्त्री जेम्स लुईस का कहना है, अगर हम मंगल पर कहीं भी ऑर्गैनिक नमक का पता लगाते हैं तो हम उन क्षेत्रों में और ज्यादा जांच कर सकते हैं और सतह के नीचे खुदाई कर सकते हैं, जहां जैविक तत्व सुरक्षित मिल सकता है। लुईस के प्रयोगों और रोवर में लगे लघु प्रयोगशाला से मिले डेटा के आधार पर ऑर्गैनिक नमक के संकेत मिले हैं।

क्या है चुनौती
दरअसल, मंगल की मिट्टी और चट्टान के गर्म होने से गैसें उत्सर्जित होती हैं। इनके आधार पर नमूनों के बनावट का पता चलता है। जैविक नमक को गर्म करने से जो गैसें निकलेंगी, वे मंगल की मिट्टी में किसी भी दूसरी चीज से भी निकल सकती हैं। इसलिए और विस्तृत विश्लेषण की जरूरत बताई जा रही है।