अमेरिका के चीफ ऑफ स्टॉफ्स के अध्यक्ष जनरल मार्क मिली ने कहा है कि तालिबान एक क्रूर संगठन था और यह देखा जाना अभी बाकी है कि इसमें बदलाव आया है या नहीं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘हम नहीं जानते कि तालिबान का भविष्य क्या है, लेकिन मैं अपने निजी अनुभव से बता सकता हूं कि एक क्रूर समूह रहा है।’’

तालिबान के साथ सहयोग के उठे सवालों के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘उनके साथ हमारी बातचीत खतरे को कम करने के लिए हुई थी।’’ वहीं रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि अमेरिका बहुत कम मुद्दों पर तालिबान के साथ काम कर रहा था। उन्होंने कहा कि बातचीत का एकमात्र मकसद यह था कि वहां से ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। जनरल मिली ने बताया कि अमेरिकी सेना के सी-17 और सी-130 विमानों ने अफगानिस्तान के कुल 778 फेरे लगाए थे। इसमें से 387 सैन्य और 391 गैर सैन्य फेरे थे।

इन हवाई अभियान के जरिए कुल 1,24,334 लोगों को अफगानिस्तान से सुरक्षित निकाला गया। इसमें अमेरिकी नागरिकों के अलावा अफगान तथा अन्य देश के नागरिक भी शामिल थे। जनरल मिली ने कहा, ”हम विदेश विभाग के नेतृत्व में अमेरिकी नागरिकों को निकालने का अभियान जारी रखेंगे। अब यह सैन्य अभियान से बदलकर एक कूटनीतिक अभियान हो गया है।’’

जनरल मिले ने बताया कि इस अभियान में 11 मरीन, एक सैनिक और एक नौसैन्य कर्मी ने जान गंवायी और 22 अन्य घायल हो गए। इसके साथ ही काबुल हवाईअड्डे पर 26 अगस्त को हुए जघन्य आतंकवादी हमले में 100 से अधिक अफगान मारे गए। उन्होंने कहा, ‘‘अफगानिस्तान में हमारा सैन्य अभियान अब खत्म हो गया है और हम इस अनुभव से सीख लेंगे। आने वाले वर्षों में यह अध्ययन किया जाएगा कि हम कैसे अफगानिस्तान में गए।’’