भारत के साथ वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों में अगस्ता वेस्टलैंड के अधिकारियों के बरी होने के आठ महीने और 10 दिन बाद मिलान में इटली की अपील अदालत अपने विस्तृत फैसले को सार्वजनिक किया और किसी तरह का सबूत न मिलने के पीछे की वजह बताई। न्यूज एजेंसी रायटर्स के अनुसार, अपने 322 पन्नों के फैसले में अदालत ने कहा, “विदेश के सरकारी अधिकारियों के उपर सुधारात्मक समझौते का जो आरोप लगाया गया, उनके खिलाफ किसी तरह का सबूत नहीं मिला, जैसा कि इस कथित कानून की आवश्यकता है।” यह विस्तृत निर्णय पिछले सोमवार को कोर्ट द्वारा जारी किया गया था। यद्यपि, उम्मीद की जा रही थी कि तीन महीने के अंदर इसे जारी कर दिया जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कोर्ट ने यह भी कहा कि, “आरोप लगाया गया कि इंडियन एयरफोर्स प्रमुख को अवैध रूप से पैसा देने के बाद हेलिकॉप्टर की उड़ान क्षमता को बदल दिया गया, जो कि संभव नहीं है, जैसा कि साक्ष्य पेश किया गया।” बता दें कि भारत के पूर्व आईएएफ प्रमुख एयर चीफ मार्शल एस पी त्यागी इस भ्रष्टाचार मामले में शामिल आरोपियों में से एक थे।

8 जनवरी को इटली की अदालत ने इटली की अदालत ने 12 एडब्ल्यू 101 हेलीकॉप्टरों को भारत को बेचने के सौदे में 560 मिलियन यूरो के अवैध भुगतान के आरोप में पूर्व फिनमेक्कानिका के अध्यक्ष ज्यूसेपे ओर्सी और अगस्ता वेस्टलैंड के सीईओ ब्रूनो स्पैग्नोलिनी को बरी कर दिया था। कोर्ट के डॉक्यूमेंट के अनुसार, “भारतीय रक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व होगन लवल्स के वकील फ्रांसेस्का रोला और वकील रॉबर्टो लोसेगो द्वारा किया गया।” विस्तृत फैसले के बाद इस मामले के इटली में अब बंद होने की संभावना है। अब आगे की अपील के लिए थोड़ी बहुत संभावना है क्योंकि पहले ही इसमें फर्स्ट डिग्री ट्रायल, दो अपीलीय ट्रायल और इटली के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है।

इस मामले में ओर्सी को इटली के अधिकारियों ने फरवरी 2013 में गिरफ्तार कर लिया था, जबकि स्पैग्नोलिनी को घर गिरफ्तार कर लिया गया था। इटली-अमेरिकी सलाहकार गिडो राल्फ हशके को अप्रैल 2014 में एक साल और 10 महीने की सजा सुनाई गई थी, जबकि अगस्टा वेस्टलैंड पर भारी जुर्माना लगाया गया था। अप्रैल 2016 में अपील अदालत ने द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद 2016 के अंत में इटली सुप्रीम कोर्ट द्वारा ओर्सी और स्पैग्नोलिनी को बरी कर दिया था। गौर हो कि इटली के कोर्ट का यह विस्तृत फैसला तब आता है जब कुछ दिनों पहले ऐसी खबर आयी कि मध्यस्था के अाराेपी क्रिस्टियन माइकल को भारत लाने के लिए दुबई की अदालत ने इजाजत दे दी है। माइकल एक ब्रिटिश नागरिक हैं और वे तीन मध्यस्थों में शामिल हैं, जिनके उपर भारतीय अधिकारियों को 3600 करोड़ के इस डील में घूस देने का आरोप लगा है।