25 जुलाई का दिन पाकिस्तान के लिए अहम दिन। वजह ये है कि इस दिन पाकिस्तान में आम चुनाव हो रहे हैं और यह दूसरी बार है जब सत्ता में एक लोकतांत्रिक बदलाव होगा। इसके लिए पूरे देश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। पाकिस्तान चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया के सुचारु और निष्पक्ष कार्य को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस चुनाव में मुख्य रूप से मुकाबला इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरिक-ए-इंसाफ, नवाज शरीफ के पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) [पीएमएल-एन] और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बीच है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का नेतृत्व बिलावल भुट्टो जरदारी है। तीनों पार्टियों ने चुनाव में जीत के लिए जमकर प्रचार किए। हालांकि, पाकिस्तान के चुनावी विशेषज्ञों के द्वारा और चुनाव पूर्व किए गए सर्वेक्षणों के अनुसार क्रिकेटर से राजनेता बने पीटीआई प्रमुख इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने की संभावना जताई जा रही है।

ये वही इमरान खान हैं, जिनके नेतृत्व में पाकिस्तान ने 1992 में विश्व कप जीता था। करीब दो दशक से ये पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन इसके साथ ही वह कई अन्य वजहों से भी चर्चा में बने रहे हैं। उनके अफेयर के किस्से और लव लाइफ की कहानियां अक्सर कई पत्रिकाओं की सुर्खियां बनती रही है। वर्ष 2009 में क्रिस्टोफर सैंडफोर्ड द्वारा लिखित इमरान खान की जीवनी के अनुसार, इमरान और बेनजीर भुट्टो, जो पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनने जा रही थीं, के करीबी संबंध थे। संभवत: दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बने थे। यह समय था वर्ष 1975 का, जब 21 वर्षीय बेनजीर भुट्टो लेडी मार्गरेट हॉल में राजनीति विषय में दूसरे वर्ष की पढ़ाई कर रही थी।

टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक स्रोत ने सैंडफोर्ड को बताया था कि भुट्टो खान द्वारा “स्पष्ट रूप से प्रभावित” हो सकती थी। शायद वह पहले व्यक्ति भी हो सकते है जो उसे ‘लाहौर का शेर’ उपनाम दिया हो। एक घटना से यह स्पष्ट होता है कि दोनों कम से कम एक या दो महीने तक काफी नजदीक रहे। डेली मेल ने सैंडफोर्ड के अनुसार बताया कि उन दोनों के बीच एक दूसरे को लेकर काफी झुंकाव था। जब भी वे कहीं सार्वजनिक जगह दिखते थे एक दूसरे को हंसाते रहते थे। लेकिन बाद में दोनों एक दूसरे से अलग हो गए। एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि खान की मां ने इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया और दोनों की शादी को तैयार नहीं हुई। इस वजह से दोनों टूट गए थे। अपनी मां की खातिर खान ने इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाने का फैसला किया। वहीं, एक और रिपोर्ट में यह बताया गया है कि राजनीतिक और पारिवारिक दबाव की वजह से भुट्टो ने खान से दूरी बनाई और फिर दोनों अगल हो गए। हालांकि, इमरान खान इन सभी अफवाहों का खंडन करते हुए कहते हैं कि दोनों सिर्फ दोस्त थे। वे कभी रिश्ते में नहीं थे।

वहीं, फ्रैंक हुजुर द्वारा ‘इमरान बनाम इमरान’ नामक एक और जीवनी में इमरान खान ने दावा किया कि यह वह नहीं, बल्कि उनके चचेरे भाई थे जो भुट्टो में रूचि रखते थे। बता दें कि वर्ष 2007 में रावलपिंडी में एक चुनावी रैली को संबोधित करने के कुछ ही समय बाद बेनजीर भुट्टो की आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। उनके 29 वर्षीय बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी अब पीपीपी का नेतृत्व कर रहे हैं और चार क्षेत्रों से अपने राजनीतिक करियर का पहला चुनाव लड़ रहे हैं।