ईरान ने 1 अक्टूबर को इजरायल पर मिसाइल से हमला किया था। इसके बाद 2 अक्टूबर को इजरायल ने बड़ा फैसला लिया और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को इजरायली क्षेत्र में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगा दिया। दुनिया के कई देशों ने इजरायल के इस कदम की निंदा की। कई यूरोपीय और अफ्रीकी देशों ने भी इजरायल के इस कदम की निंदा की।

इजरायल की 104 देशों ने की निंदा

104 देशों ने एक पत्र के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र महासचिव को इजरायली क्षेत्र में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिए इजरायल की निंदा की। अहम बात यह है कि भारत ने इस पत्र पर अपने हस्ताक्षर नहीं किए। भारत ने करीब चार ऐसे प्रमुख प्रस्ताव में भाग नहीं लिया, जो फिलिस्तीन के मुद्दों से जुड़े हुए थे।

चिली ने इस पत्र को सबसे पहले पेश किया। इसका समर्थन ब्राज़ील, कोलंबिया, अफ्रीका, युगांडा, इंडोनेशिया, स्पेन, गुयाना और मेक्सिको ने भी किया। सभी ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र महासचिव और संयुक्त राष्ट्र को रक्षा के रूप में देखते हैं, ना कि किसी संघर्ष की पक्ष के रक्षा के रूप में।

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चिली के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी पत्र में कहा गया, “संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के रूप में हम संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व और उसके मिशन के लिए सम्मान का आह्वान करते हैं। हम महासचिव और उनके काम में अपने पूर्ण समर्थन और विश्वास की पुष्टि करते हैं।”

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 10 सदस्यों ने किया समर्थन

चिली के पत्र का फ्रांस, रूस, चीन, स्लोवेनिया और स्विट्जरलैंड सहित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 10 सदस्यों ने समर्थन किया था। हालांकि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया कि भारत ने पत्र पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किए? 4 अक्टूबर को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि भारत के लिए गुटेरेस संयुक्त राष्ट्र महासचिव हैं और कोई तीसरा व्यक्ति क्या कहता है यह हमारे दृष्टिकोण का क्षेत्र या टिप्पणी करने का विषय नहीं है।