Israel-Hamas Conflict: फिलिस्तीनी लड़ाके गाजा पट्टी पार कर शनिवार को दक्षिणी इजराइल में घुस गए। इजराइल पर पांच हजार से ज्यादा राकेट दागे गए। सत्ताधारी हमास ने नए अभियान की घोषणा कर दी। हमास सैन्य शाखा के नेता मोहम्मद दईफ ने ‘आपरेशन अल-अक्सा स्टार्म’ का एलान करते हुए कहा, ‘बहुत हो गया।’ हमास के निर्वासित नेता सालाह अरूरी ने कहा, ‘यह अभियान कब्जे के अपराधों का जवाब है।’ इस बीच, इजराइल ने पलटवार करने में समय नहीं गंवाया और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने युद्ध की घोषणा कर दी। इजराइली रक्षा मंत्री याव गैलेंट ने कहा, हम जीतेंगे।

विश्व स्तर पर शुरू हो गई है नई तरह की गोलबंदी

ब्रिटेन और फ्रांस ने हमास के हमले की निंदा की है, जबकि मिस्र के विदेश मंत्रालय ने अधिकतम संयम बरतने और नागरिकों को और खतरे में डालने से बचने का आह्वान किया है। विश्व स्तर पर, खासकर मध्य पूर्व में नए तरह की गोलबंदी शुरू हो गई है। ब्रिटेन से हमास के पक्षधर माने जाने वाले तुर्किये, मिस्त्र और अन्य देशों से वार्ता शुरू कर दी है।

हमास की इजराइली कब्जे को हटाने की मुहिम में मदद की अपील

हमास अपने ताजा अभियान के साथ अपनी उस छवि को साफ करना चाहता है कि वह एक विद्रोही गुट है। वह बताना चाहता है उसका मूल उद्देश्य इजराइल का खात्मा करना है। जैसा कि हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दईफ ने फिलिस्तीनियों और अन्य अरब समुदायों से अपील की कि ‘इजराइली कब्जे को हटाने की इस मुहिम में अपना योगदान करें।’

क्या पश्चिमी तट के कब्जे वाले इलाकों, पूर्वी येरुशलम या फिर किसी और इलाके में रह रहे फिलिस्तीनी हमास की इस अपील को सुनेंगे। इजराइल इस घटना में एक ऐसे युद्ध की संभावना देख रहा है जिसे कई मोर्चों पर लड़ा जा सकता है। लेबनान का ताकतवर चरमपंथी गुट हिज्बुल्ला इसमें कूद पड़ा है, स्थिति बेकाबू होने के संकेत हैं।

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इजराइल और हमास संघर्ष

विवाद की शुरुआत कैसे हुई। जायोनीवाद एक जातीय-राष्ट्रवादी आंदोलन जिसने फिलिस्तीन में यहूदी लोगों के लिए एक मातृभूमि स्थापित करने की मांग की – 19 वीं शताब्दी के अंत में उभरा। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद एक यहूदी राष्ट्र के लिए समर्थन में काफी वृद्धि हुई, क्योंकि यहूदी लोगों के नाजी संहार की भयावहता सार्वजनिक हो गई थी।

लिहाजा, 1948 में संयुक्त राष्ट्र और अंग्रेजों के समर्थन से, जिन्होंने ओटोमन के बाद इस क्षेत्र का नियंत्रण ले लिया था, इजराइल का जन्म हुआ। 1947 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाई गई विभाजन योजना के अनुसार, फिलिस्तीन के ब्रिटिश क्षेत्र को एक यहूदी और एक अरब राज्य में विभाजित किया जाने की योजना बनी। लेकिन लगभग तुरंत, बसाए जाने वाले जायोनी के बीच युद्ध छिड़ गया, जो फिलिस्तीन और अरबों की भीड़ में थे। पहला अरब-इजरायल युद्ध 1949 में इजरायल की जीत के साथ समाप्त हुआ। क्षेत्र को तीन भागों में विभाजित किया गया था : यहूदी इजराइल, और अरब पश्चिमी तट और गाजा पट्टी। हालांकि, यह फार्मूला संघर्ष को हल करने में विफल रहा।

कुछ पर्यवेक्षकों ने ताजा संघर्ष को ‘तीसरे इंतिफादा’ की शुरुआत बताना शुरू किया है। इंतिफादा का अर्थ आमतौर पर ‘बगावत’ या ‘विद्रोह’ मान लिया जाता है, लेकिन अरबी भाषा में इसका अर्थ ‘उथल पुथल’ या फिर किसी से ‘छुटकारा पाना’ होता है। यह दिसंबर 1987 में लोकप्रिय उपयोग में आया, फिलिस्तीनियों ने पश्चिमी तट और गाजा में इजराइल की मौजूदगी के खिलाफ अपने विद्रोह का वर्णन करने के लिए इसका इस्तेमाल किया।

फिलिस्तीनी-अमेरिकी विद्वान एडवर्ड सईद ने 1989 में ‘इंतिफादा एंड इंडिपेंडेंस’ शीर्षक से लिखे अपने निबंध में इंतिफादा को उन लोगों की प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया था, जिन्होंने उनके इतिहास, भूमि और राष्ट्रीयता को लूटने के इजराइल के प्रयास को नाकाम कर दिया। पहला इंतिफादा 1987 से 1993 तक चला, और दूसरा इंतिफादा 2000-2005 तक। ये बेहद लोकप्रिय विद्रोह थे। दूसरे इंतिफादा की समाप्ति के बाद से, इजराइल और फिलिस्तीन के बीच तनाव खत्म नहीं हुआ।

कई लोग वर्षों से ‘तीसरे इंतिफादा’ की चेतावनी दे रहे हैं, खासकर फिलिस्तीन के खिलाफ इजराइल में अतिराष्ट्रवादी धुर दक्षिणपंथ के उदय के बीच। थिंक टैंक – ‘काउंसिल आन फारेन रिलेशंस’ के अनुसार, ‘2022 में 2015 के बाद से इजराइल और फिलिस्तीनियों दोनों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। इजराइल ने इस साल येरूशलेम में पवित्र अल-अक्सा मस्जिद पर कई छापे भी मारे हैं, जिससे तनाव और बढ़ गया है। और अंतत: हमास का नवीनतम अभियान शुरू हुआ, जिसका नाम मस्जिद के नाम पर रखा गया है।