पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हाल ही में एक बड़ी घटना सामने आई, जिसने लोगों का ध्यान खींचा है। एक डॉक्टर शाहनवाज कुनभर (Shahnawaz Kunbhar), पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर उनकी हत्या कर दी गई। इस मामले में एक कट्टरपंथी धार्मिक नेता पीर उमर जान सरहिंदी (Pir Umar Jan Sirhindi) को प्रांतीय हाईकोर्ट से 10 दिन की सुरक्षात्मक जमानत (Protective Bail) मिली है।

19 सितंबर को मीरपुरखास में हुई थी पुलिस के साथ मुठभेड़

डॉ. शाहनवाज पर आरोप था कि उन्होंने सोशल मीडिया पर ईशनिंदा वाली सामग्री पोस्ट की थी, लेकिन उन्होंने इन आरोपों से साफ इनकार किया था। अधिकारियों का कहना है कि शाहनवाज को कराची भागने पर मजबूर किया गया। 19 सितंबर को मीरपुरखास में पुलिस के साथ हुई एक मुठभेड़ में उनकी मौत हो गई। शाहनवाज के बहनोई इब्राहिम कुनभर (Ibrahim Kunbhar) ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें सरहिंदी और कई पुलिस अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। उनका कहना है कि डॉक्टर शाहनवाज की हत्या जानबूझकर की गई और यह मुठभेड़ फर्जी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरहिंदी ने पुलिस पर दबाव डालकर डॉक्टर को गिरफ्तार करवाया और फिर उनकी हत्या करवा दी।

इस घटना के बाद धार्मिक नेता सरहिंदी और उनके समर्थकों ने डॉक्टर का शव पुलिस से छीन लिया और उसे जला दिया। इस घिनौने कृत्य की आलोचना मानवाधिकार संगठनों और आम नागरिकों ने की है। खासकर सिंध के हिंदू समुदाय में सरहिंदी का नाम काफी डर फैलाने वाला है, क्योंकि उन पर पहले भी कई नाबालिग हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप लगे हैं।

सरहिंदी ने इस मामले में मीडिया के सामने खुद को बचाते हुए कहा कि जब उमरकोट में हिंसक विरोध हो रहा था, तो उन्होंने भीड़ को सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने से रोका था। उन्होंने अपनी भूमिका को निष्पक्ष बताया और खुद को इस मामले में बेगुनाह कहा। इस घटना ने धार्मिक नेताओं और आम जनता में गुस्सा पैदा कर दिया है। कई धार्मिक विद्वानों ने सरकार से इस मामले की गहन और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने सही जांच नहीं की तो उन्हें सख्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ेगा।

अब, इस घटना ने पूरे देश में धार्मिक कट्टरता और इंसाफ की मांग को फिर से चर्चा में ला दिया है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस मामले में सही न्याय हो और किसी भी निर्दोष को झूठे आरोपों में न फंसाया जाए।