भारत के लगातार प्रयास के बावजूद पाकिस्तान 2017 से 2022 के बीच सिंधु जल समझौते के नवीनीकरण की दिशा में पाकिस्तान ने कोई रूचि नहीं दिखाई। पाकिस्तान के रवैये से खफा भारत ने अब उसे नोटिस जारी किया है। इसमें उससे पूछा गया है कि वो इस दिशा में कारगर कदम क्यों नहीं उठा रहा है। इस दौरान सिंधु जल समझौते के स्थाई कमीशन की पांच बैठक हो चुकी हैं। ये समझौता सितंबर 1960 का है।

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इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक पाकिस्तान ने 2015 में अपील की थी कि एक न्यूट्रल एक्सपर्ट को नियुक्त किया जाए जो उसकी तकनीकी आपत्तियों पर गौर करके कोई ठोस समधान निकाल सके। पाकिस्तान को किशनगंगा और हाईड्रो इलेक्ट्रानिक प्रोजेक्ट को लेकर आपत्तिय़ां हैं। लेकिन 2016 में पाक अपनी अपील से पीछे हट गया और उसने Court of Arbitration (मध्यस्थता अदालत) से इस मामले में दखल देने की मांग की। भारत का कहना है कि वो समझौते के प्रावधानों को लेकर हमेशा संजीदा रहा है। लेकिन पाकिस्तान का जो रवैया है उसमें वो मामले को उलझाने में ज्यादा रूचि लेता है।

भारत को लगता है कि पाकिस्तान दो अलग-अलग मंचों पर इस समस्या के समाधान के लिए अपील कर रहा है। ये बात जायज नहीं है। विश्व बैंक ने भी 2016 में इस मसले का संज्ञान लेकर कहा था कि मध्यस्थता कोर्ट के साथ न्यूट्रल एक्सपर्ट से इस समस्या का समधान नहीं निकल सकता। लिहाजा दोनों देश एक साथ बैठकर कोई समाधान निकालें। लेकिन भारत के लगातार प्रयासों के बावजूद पाकिस्तान ने 2017 से लेकर 2022 के बीच इस समस्या के समाधान के लिए चर्चा नहीं की। पाकिस्तान के जोर देने पर विश्व बैंक ने मध्यस्थता कोर्ट के साथ न्यूट्रल एक्सपर्ट के खिलाफ एक्शन लिया है।

पाकिस्तान के रवैये को देख भारत ने समझौते के नवीनीकरण के लिए नोटिस जारी किया है। मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान को 90 दिनों के भीतर सरकारों के स्तर पर बातचीत शुरू करनी होगी। भारत की कोशिश ये भी है कि पिछले 62 सालों से पाकिस्तान जिस तरह से समझौते को अटकाता है उसका कोई स्थाई समाधान निकाला जाए।