अमेरिका के न्यूजर्सी में एक भारतीय अमेरिकी को टेक्नीकल सपोर्ट घोटाले में शामिल होने आरोप में गिरफ्तार किया गया है। उसने सात हजार से अधिक लोगों को झांसा देकर उनसे लगभग 1.3 करोड़ अमेरिकी डॉलर की धोखाधड़ी की। अमेरिकी कानून के मुताबिक इस तरह के अपराध के लिए अधिकतम बीस साल तक की कैद दी जा सकती है। दोषी साबित होने पर ढाई लाख डॉलर का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

अमेरिकी अटार्नी फिलिप आर शेलिंगर ने यह जानकारी दी। उनका कहना है कि तकनीक का इस्तेमाल कर वित्तीय धोखाधड़ी की गई। इस साजिश के एक मामले में आरोपी मनोज यादव नेवार्क फेडरल कोर्ट के मजिस्ट्रेट जज जोस आर. अलमोंटे के समक्ष पेश हुआ। सेलिंगर ने कहा कि साजिश में शामिल लोगों पर आरोप है कि उन्होंने कई पीड़ितों को यह बताकर झांसे में लिया कि वो एक प्रमुख सॉफ्टवेयर कंपनी से जुड़े हैं।

इन लोगों ने सॉफ्टवेयर से जुड़ी समस्या का तकनीकी समाधान प्रदान करने का दावा किया और फिर पीड़ितों से सेवाओं के लिए मनमाना पैसा वसूला। जबकि ये लोग सॉफ्टवेयर कंपनी की तरफ से अधिकृत नहीं किए गए थे। आरोप है कि मनोज यादव इस धोखाधड़ी में व्यक्तिगत रूप से शामिल रहा। उसने अपने साथियों के साथ मिलकर सारा तानाबाना बुना और लोगों को निशाना बनाया। इन लोगों ने 1.3 करोड़ डॉलर का फ्राड किया है।

FBI की लोगों से अपील- दर्ज कराए अपनी शिकायत

FBI के स्पेशल एजेंट इंचार्ज जेम्स ई डेन्हे का कहना है कि इन लोगों ने लोगों को बड़े करीने से अपने जाल में फंसाया। वो लोग भी इनके झांसे में आ गए जो खुद को स्मार्ट समझते थे। उनका कहना है कि जो भी लोग आरोपियों के झांसे में आए थे वो उनके पास आकर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

उनका कहना है कि मामले की विवेचना अभी की जा रही है। इन लोगों का एक नेटवर्क था। जिसके जरिये ये लोगों तक पहुंचकर उनको झांसा देते थे। एफबीआई मामले की तह में जाकर सारी चीजों को बाहर लाने की कोशिश में है। लोग साथ देंगे तो वो जल्दी से आरोपियों को सजा करा सकेंगे।