फोन सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों के साथ बीमा कंपनी से धोखाधड़ी करने के मामले में एक भारतीय नागरिक को बुधवार को दोषी ठहराया गया। भारतीय नागरिक पर सेलुलर रिप्लेसमेंट डिवाइस हासिल करने के लिए फर्जी दावे प्रस्तुत करने का भी आरोप है। अमेरिकन पुलिस का कहना है कि उसने नकली आइडेंटिटी का इस्तेमाल कर डिवाइसों को अमेरिका से बाहर ले जाकर बेच दिया।

हो सकती है बीस साल की कैद और लग सकता है 2.5 लाख तक का जुर्माना

अमेरिकी वकील फिलिप आर सेलिंगर ने बताया कि नेवार्क के 42 वर्षीय पराग भावसार ने अमेरिकी जिला जज मैडलिन कॉक्स अर्लेओ के सामने अपना गुनाह मान लिया। उसे सजा सुनाने के लिए तीन जनवरी 2024 की तारीख तय की गई है। इन आरोपों में अधिकतम 20 साल की कैद और 2.5 लाख अमेरिकी डॉलर तक का जुर्माना हो सकता है। अमेरिकी कोर्ट का कहना था कि पराग ने जो कुछ किया वो उसे जेल भेजने के लिए पर्याप्त है। उसने फर्जीवाड़ा करके देश की फोन व बीमा कंपनियों को चपत लगाई। ये अपराध माफी के लायक नहीं है।

एक रिपोर्ट के अनुसार जून 2013 से जून 2019 तक पराग सेलुलर टेलीफोन सर्विस देने वाली कंपनियों के साथ बीमा कंपनियों को धोखा देने की साजिश में शामिल था। उसने फर्जीवाड़ा करने के लिए अमेरिकी पोस्टल सर्विस मेल सिस्टम के साथ तीसरे पक्ष की मेल का बेजा इस्तेमाल किया। उसने और उसके साथियों ने चोरी हुए और जाली पहचान पत्रों के जरिये ऐसे क्लेम डाले जो चोरी हुए या फिर खराब सेलुलर फोन के साथ अन्य डिवाइसों के मामले में पेश किए जाते हैं। सभी का मकसद डिवाइसों का रिप्लेसमेंट लेना था।

अमेरिकन पुलिस के मुताबिक पराग और उसके साथियों ने न्यू जर्सी सहित पूरे अमेरिका में मेलबॉक्स और भंडारण इकाइयों का एक नेटवर्क बना रखा था। भंडारण इकाइयों में रिप्लेसमेंट डिवाइसेज भेजी जाती। वहां से उनको अमेरिका के बाहर बेचा जाता था। प्रासीक्यूटर ने अदालत को बताया कि पराग और उसके साथियों की योजना के परिणामस्वरूप सेलुलर टेलीफोन प्रदाताओं और बीमा कंपनियों को लाखों डॉलर का नुकसान हुआ।