संयुक्त राष्ट्र में भारत के नये स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने महासचिव बान की-मून को वैश्विक संस्था को इसका लक्ष्य हासिल करने में पूरा मदद करने का भरोसा दिया और संयुक्त राष्ट्र के प्रति भारत की प्रतिबद्ध को दोहराया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के तौर पर अकबरुद्दीन ने अपना परिचय पत्र वैश्विक संस्था के महासचिव बान की-मून के समक्ष पेश किया और सभी समस्याओं का शांतिपूर्ण राजनीतिक समाधान के लिए संस्था के प्रयास में अपना पूरा समर्थन देने का भरोसा भी दिया। उनके परिचय पत्र को स्वीकार करते हुए बान ने संयुक्त राष्ट्र में शीर्ष भारतीय राजनयिक के तौर पर उनकी नियुक्ति का स्वागत किया और इस शक्तिशाली वैश्विक संस्था में भारत द्वारा एक दीर्घकालिक विश्वस्त साझीदार के रूप में निभाई गई अहम भूमिका की सराहना की।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि विदेश मंत्रालय के पूर्व उच्चस्तरीय प्रवक्ता अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया और महासचिव को आश्वासन दिया कि बान ने वर्ष 2016 के लिए जो आदर्श और प्राथमिकताएं तय की हैं, उन्हें हासिल करने में वह संयुक्त राष्ट्र का सहयोग करेंगे। बान द्वारा तय किए गए इन लक्ष्यों में एजेंडा 2030 और सभी समस्याओं के शांतिपूर्ण राजनीतिक हल तलाशने की कोशिश भी शामिल है।
1985 बैच के आईएफएस अधिकारी अकबरुद्दीन संयुक्त राष्ट्र में भारत के 21वें स्थायी प्रतिनिधि हैं। उन्होंने 31 दिसंबर को अपना कार्यकाल पूरा करने वाले अशोक मुखर्जी की जगह ली है। अकबरुद्दीन पूर्व में 1995-98 के दौरान प्रथम सचिव के रूप में संयुक्त राष्ट्र में भारतीय मिशन को अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों और शांति रक्षा अभियानों पर अपना ध्यान केंद्रित रखा।
संयुक्त राष्ट्र में तैनाती से पहले अकबरूद्दीन नयी दिल्ली में अक्तूबर 2015 को आयोजित हुए भारत-अफ्रीका मंच सम्मेलन के मुख्य संयोजक थे। इस प्रमुख आयोजन में सभी 54 अफ्रीकी देशों ने शिरकत की थी। इससे तत्काल पहले, अकबरूद्दीन वर्ष 2012 से 2015 तक विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रहे हैं। उन्हें राजनयिक पहुंच बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया का प्रभावी इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है।
अकबरूद्दीन ने विभिन्न पदों पर भारतीय हितों का प्रतिनिधित्व किया और दुनियाभर में मित्रवत संबंधों को बढ़ावा दिया। वह वर्ष 2006-2011 तक वियना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी (आईएईए) में अंतरराष्ट्रीय सिविल सेवक के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं। इस सेवा के तहत उन्होंने विदेशी संबंधों एवं नीति समन्वय इकाई प्रमुख के तौर पर काम किया। इसके अलावा वह आईएईए के महानिदेशक के विशेष सहायक भी रहे।

