भारत ने यूक्रेन संघर्ष पर अपने रुख में बदलाव करते हुए इसे “संघर्ष में दो पक्षों” से “संबंधित पक्षों” की संज्ञा दी है। यह परिवर्तन अमेरिका-रूस वार्ता और अमेरिका-यूरोप ट्रांस-अटलांटिक गठबंधन की बदलती रणनीति के बीच सामने आया है। इस सप्ताह रियाद में अमेरिकी और रूसी प्रतिनिधिमंडल युद्ध समाप्ति के तरीकों पर चर्चा करने के लिए मिले, लेकिन इस वार्ता में यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया। यह घटनाक्रम यूरोप के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि यह बाइडेन प्रशासन की उस नीति के खिलाफ है, जिसमें कहा गया था कि यूक्रेन को बातचीत से बाहर रखकर कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा।
उधर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी ने शुक्रवार को भारत-चीन संबंधों को और सामान्य बनाने के तरीकों पर चर्चा की। बातचीत में कैलाश मानसरोवर तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करने पर विचार किया गया। यह चर्चा उस सहमति के बाद हुई, जो पिछले साल वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए बनी थी। दोनों नेताओं की यह बैठक दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
इस बदले हुए परिदृश्य में भारत की स्थिति को विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात के कुछ घंटों बाद स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत संवाद और कूटनीति का समर्थक है और अब दुनिया उम्मीद कर रही है कि “संबंधित पक्ष” युद्ध समाप्त करने के लिए आपसी समझौते तक पहुंचेंगे। यह बयान पहले के भारत के रुख से थोड़ा अलग है, जहां केवल संघर्ष में शामिल पक्षों की बात की गई थी। इस नए दृष्टिकोण में अमेरिका और यूरोप को भी संभावित रूप से शामिल किया जा सकता है।
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इस बदलाव के संकेत स्विट्जरलैंड में हुए यूक्रेन शांति सम्मेलन के दौरान भी दिखे, जहां भारत ने रूस की अनुपस्थिति के कारण संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। अब स्थिति बदल चुकी है—रूस वार्ता में शामिल है, लेकिन यूक्रेन को बाहर रखा गया है। भारत ने हमेशा युद्ध समाप्ति के लिए कूटनीति का समर्थन किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि “यह युद्ध का युग नहीं है” और संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं निकलेगा। भारत ने शांति प्रयासों में सहयोग देने की पेशकश की है और मोदी ने पुतिन व जेलेंस्की दोनों से कई बार मुलाकात की है।
रियाद में अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से मुलाकात के बाद, रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने जोहान्सबर्ग में जी-20 बैठक के दौरान जयशंकर से भी चर्चा की। जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि उन्होंने भारत-रूस सहयोग की समीक्षा की और यूक्रेन संघर्ष पर हालिया घटनाक्रमों पर चर्चा की। भारत अपनी कूटनीतिक स्थिति को संतुलित रखते हुए वैश्विक परिस्थितियों के अनुसार अपनी रणनीति तय कर रहा है।
चीन विदेश मंत्री के साथ एस. जयशंकर की यह मुलाकात दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान हुई और भारत-चीन के शीर्ष नेताओं के बीच बैठकों की एक कड़ी का हिस्सा थी। दोनों पक्षों ने 21 अक्टूबर को एलएसी के लद्दाख सेक्टर में डेमचोक और देपसांग के दो “घर्षण बिंदुओं” से अग्रिम पंक्ति के सैनिकों को हटाने पर सहमति जताई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि जयशंकर और वांग ने “नवंबर में हुई पिछली बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुए विकास की समीक्षा की।”