भारत और कतर हवाला धन के लेन देन और आतंकवाद के वित्तपोषण पर खुफिया जानकारी साझा करने के लिए रविवार (5 जून) को सहमत हुए। दोनों देशों ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए और व्यापारिक संबंध से आगे बढ़ने तथा रणनीतिक निवेशों में शामिल होने का फैसला किया है। दोनों देशों ने आतंकवाद के प्रायोजकों और समर्थकों को अलग-थलग करने की जरूरत का जिक्र किया। वे इस बात पर सहमत हुए कि ऐसी सभी संस्थाओं के प्रति फौरी कार्रवाई करने की जरूरत है जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं और इसे नीतिगत औजार के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

व्यापक वार्ता की समाप्ति पर दोनों देशों ने सभी द्विपक्षीय विषयों और पारस्परिक हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों की नियमित रूप से समीक्षा करने के लिए एक अंतर मंत्रालयी उच्च स्तरीय संयुक्त समिति बनाने का फैसला किया। इससे पहले, दो दिवसीय यात्रा पर आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी तथा कतर के नेतृत्व के बीच व्यापक वार्ता हुई।

मोदी ने कहा, ‘दोनों देशों के बीच अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए जो भारत-कतर संबंधों को नई मजबूती देगा।’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘भारत-कतर किस तरह अपने संबंधों को नई मजबूती देंगे, इस पर शेख तमीम और मैंने व्यापक बातचीत की।’ हवाला धन के अवैध हस्तांतरण पर सूचना साझा करने के लिए वित्त खुफिया इकाई.. भारत (एफआईयू) और कतर वित्त सूचना इकाई के बीच एक सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया।

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वार्ता के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, ‘दोनों देश धन के अवैध हस्तांतरण के खिलाफ कार्रवाई करने को सहमत हुए।’ कतर से काफी धन का प्रवाह और निवेश होता है। काला धन मामलों की जांच के लिए भारतीय अधिकारी कतर तक पहुंचते हैं और ऐसे किसी सहमति पत्र को धन के प्रवाह से जुड़े अपराधों से लड़ने में मदद के तौर पर देखा जा रहा। इस समझौते के तहत दोनों देश आतंकवाद के वित्तपोषण और अन्य आर्थिक अपराधों का मुकाबला करने के लिए वित्तीय जानकारी के आदान प्रदान पर भी सहमत हुए। संवादाताओं को संबोधित करते हुए सचिव (आर्थिक संबंध) अमर सिन्हा ने बताया, ‘उन्होंने (कतर) यह भी महसूस किया कि आतंकवाद हम दोनों देशों और हमारे क्षेत्र के लिए खतरा पैदा करता है।’

सिन्हा ने बताया कि दोनों देशों ने महसूस किया है कि वक्त आ गया है कि हम व्यापारिक संबंध से आगे बढ़ें और रणनीतिक निवेशों में शामिल हों। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वातावरण की सख्त निंदा करते हुए मोदी और अमीर ने इस वैश्विक समस्या को उखाड़ फेंकने के लिए सहयोग करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि हिंसा, आतंकवाद और चरमपंथ को किसी भी हालात में और किसी भी रूप में न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता, चाहे जो कुछ भी उनका मकसद हो।

बयान में कहा गया है, ‘दोनों नेताओं ने आतंकवाद के प्रायोजकों और समर्थकों और अलग थलग करने की जरूरत पर जोर दिया तथा इस बात पर सहमत हुए कि आतंकवाद का समर्थन करने वाली ऐसी सभी संस्थाओं के खिलाफ अवश्य ही फौरन कार्रवाई करने की जरूरत है तथा इसे नीतिगत औजार के रूप में इस्तेमाल किया जाए। दोनों देशों ने आतंकवादियों की गतिविधियों को रोकने, आतंकवाद के वित्त पोषण के सभी स्रोतों को रोकने तथा इंटरनेट के जरिए आतंकी दुष्प्रचार का मुकाबला करने की जरूरत का भी जिक्र किया।

राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष (एनआईआईएफ) में निवेश के लिए कतर निवेश प्राधिकरण और विदेश मंत्रालय के बीच भी एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ। यह गैस बहुल खाड़ी देश से विदेशी निवेश को बढ़ावा देगा। सिन्हा ने बताया कि इसमें कतर से भारत में निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक ढांचे की स्थापना करना, वित्तीय तंगी का सामना कर रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में पूंजी पुनर्निर्माण शामिल है।

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कौशल विकास और शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और खेल के क्षेत्रों में सहयोग और निवेश अन्य समझौते हैं जिन पर भारतीय और कतर अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी की मौजूदगी में हस्ताक्षर किए। सीमा शुल्क मामलों में सहयोग और पारस्परिक मदद को लेकर भी एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ। पर्यटन में सहयोग पर भी एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ।

सिन्हा ने बताया कि सीमा शुल्क पर एमओयू में ‘इनवायसिंग’ और धन शोधन के मुद्दे का हल किया जाना भी शामिल है। उन्होंने बताया कि जिन विभिन्न क्षेत्रों पर गौर किया जा रहा उनमें रेलवे, खाद्य प्रसंस्करण, सौर ऊर्जा और रक्षा तथा समान्य विनिर्माण शामिल हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया कि कतर के प्रतिनिधियों ने जिस गर्मजोशी से प्रधानमंत्री से मुलाकात की वह उस वक्त जाहिर हुआ जब नेतृत्व ने उनसे कहा, ‘कतर आपका दूसरा घर है।’

स्वरूप के मुताबिक कतर के प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि भारत और कतर को एक दूसरे का पूरक होना चाहिए तथा भारत उससे सबसे घनिष्ठ एवं करीब है। मोदी और अमीर के बीच चर्चा ‘सौहार्दपूर्ण’ और ‘दोस्ताना’ माहौल में हुई। दोनों नेताओं ने सीरिया, इराक, लीबिया और यमन में मौजूदा हालात के बारे में गंभीर चिंता जताते हुए पश्चिम एशिया, मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में सुरक्षा हालात पर विचारों का आदान प्रदान किया। उन्होंने वार्ता और राजनीतिक चर्चाओं के जरिए इन मुद्दों का शांतिपूर्ण हल करने की बात भी दोहराई।

मोदी को अमीरी दीवान में पारंपरिक ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया जिसके बाद दोनों नेताओं के बीच आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा हुई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने एक फोटो के साथ ट्वीट किया कि दोहा के ‘अमीरी दीवान’ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को शानदार पारंपरिक सम्मान मिला। मोदी ने व्यक्तिगत रूप से अमीर को शुभकामनाएं दी, जिन्होंने दो दिन पहले ही अपना 36वां जन्म दिन मनाया था। प्रधानमंत्री ने उस दिन फोन पर उन्हें बधाई दी थी। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में शेख हमद बिन खलीफा अल थानी का जिक्र करते हुए कहा, ‘आखिरी द्विपक्षीय वार्ता फादर अमीर के साथ एक अहम बैठक है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें ओल्ड अमीरी दीवान कहा।’

इससे पहले रविवार (5 जून) दिन की अपनी प्रथम वार्ता में मोदी ने 20 शीर्ष कारोबारी नेताओं को संबोधित किया। उन्होंने भारत की निवेश हितैषी नीतियों का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें कारोबार और खासतौर पर बुनियादी ढांचा क्षेत्र में असीम अवसरों को हासिल करने के लिए न्योता दिया। साथ ही, उनके द्वारा पहचान किए गए अवरोधों को दूर करने का वादा किया। सूत्रों ने बताया कि नियमों और मंजूरियों के बारे में कतर के कारोबारी समुदाय के पास कुछ सवाल थे जिस पर मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने कई क्षेत्रों में एफडीआई आसान करने के लिए नियमों में और बदलाव किया है। उन्होंने खासतौर पर रेलवे, रक्षा, विनिर्माण और खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों का जिक्र किया। उन्होंने पर्यटन क्षेत्र में मौजूद बड़े अवसर के बारे में भी बात की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार नियमों को और आसान बनाने के लिए काम करना जारी रखेगी ताकि भारत में कारोबार करना और आसान हो जाए। खाड़ी क्षेत्र में कतर भारत का एक अहम कारोबारी साझेदार है। दोनों के बीच 2014-15 में द्विपक्षीय व्यापार 15. 67 अरब डॉलर का था। यह कच्चे तेल के लिए भारत का एक प्रमुख स्रोत भी है।
मोदी ने शनिवार (4 जून) को यहां पहुंचने पर कहा था कि कतर के साथ मजबूत संबंधों को भारत काफी वरीयता देता है। उनकी यात्रा द्विपक्षीय संबंध को और बढ़ाना चाहती है। प्रधानमंत्री भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए खाड़ी क्षेत्र के साथ संबंधों को बेहतर करने पर ध्यान दे रहे हैं। वह संयुक्त अरब अमीरात और सउदी अरब की यात्रा भी कर चुके हैं।