अमेरिका के एक जाने माने विशेषज्ञ ने कहा है कि भारत तभी दुनिया की एक प्रमुख ताकत बन सकेगा जब वह आर्थिक एवं सैन्य क्षमता के मोर्चे पर बहुआयामी सफलता हासिल करता है और लोगों की विविध आकांक्षाओं को समायोजित करके अपने लोकतंत्र को बनाए रखता है। ‘कार्नेगी एनडाउमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ नामक संगठन के विशेषज्ञ एश्ले टेलिस ने सोमवार (4 अप्रैल) को कहा, ‘‘मोदी के दृष्टिकोण में सबसे बड़ी ताकत ही वास्तव में महान शक्ति होती है। बहरहाल, भारत यह दर्जा तभी हासिल कर सकेगा जब उसकी आर्थिक बुनियादें, राष्ट्रीय संस्थाएं और उसकी सैन्य क्षमता सही मायने में ठोस और मजबूत होंगी। उसे शिखर तक पहुंचने के लिए समन्वित प्रयास करने होंगे।’’

टेलिस ने कहा कि भारत की राष्ट्रीय ताकत में विस्तार की इसकी मौजूदा क्षमता अत्यंत नियंत्रित अर्थव्यवस्था, अपर्याप्त राष्ट्रीय क्षमता, राष्ट्रीय संस्थाओं और सामाजिक संरचनाओं के बीच मुश्किल संबंध और राष्ट्र एवं समाज में सीमित तार्किक व्यवहार के कारण प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि एक महान शक्ति बनने की भारत की महत्वाकांक्षा आर्थिक प्रदर्शन में सुधार, व्यापक क्षेत्रीय एकजुटता और सैन्य हैसियत जताने के लिए प्रभावी सैन्य क्षमता की प्राप्ति और उसके उपयोग के लिए विवेकपूर्ण नीतियों के संदर्भ में बहुआयामी सफलता हासिल करने पर निर्भर करती है। इसके अलावा उसे अपने लोगों की विविध आकांक्षाओं को समायोजित कर अपने लोकतंत्र को सफलतापूर्वक टिकाए रखना होगा।

टेलिस ने कहा, ‘‘अगर भारत इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए जरूरी इन विविध सूधारों को करने में सक्षम भी हो जाता है तब भी ढेर सारे विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले दशकों में प्रमुख धुरियों में यह सबसे कमजोर होगा। यह भौगोलिक रूप से शक्तिशाली चीन से असुविधाजनक रूप से निकट स्थित है।’’

उन्होंने कहा कि भारत को अग्रणी शक्ति बनने के लिए सामान और साधन का प्रभावी बाजार सृजित करना होगा, अपनी राष्ट्रीय शक्ति का निर्माण करने और अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ते बनाने की देश की क्षमता का इस्तेमाल करने के लिए एक प्रभावी राज्य का निर्माण करना होगा।

टेलिस ने कहा, ‘‘अगर भारत अमेरिका और एशिया में उसके अहम सहयोगियों के साथ अपने संबंधों में सुधार बनाए रखते हुए उसे आगे तक ले जाता है तो उसे जबर्दस्त लाभ मिलेगा।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत को एक महान शक्ति बनाने का लक्ष्य इसकी विदेश नीति में तीसरे युग की शुरुआत का प्रतीक है जिसका महत्व और वरीयता वैश्विक प्रणाली में इसके परिणामों को निर्धारित करेंगी।