India-China Border News: भारत और चीन के बीच में रिश्ते फिर पटरी पर लौटते दिख रहे हैं, सीमा विवाद भी अभी के लिए शांत पड़ चुका है। दोनों ही देशों के बीच में समझौता हुआ है, कई स्तर की वार्ता भी हो चुकी है। लेकिन इस बीच एक ऐसी खबर सामने आ रही है जिससे भारत को सावधान रहने की जरूरत है। सोशल मीडिया पर तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या फिर राष्ट्रपति जिनपिंग दगा देने वाले हैं?

एक कार्यक्रम में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जोर देकर कहा है कि हमारे देश की जो आधुनिक तकनीक है, किसी भी बॉर्डर एरिया को उससे वंचित नहीं रखना है। अब उनका यह बयान मायने रखता है क्योंकि पिछले कुछ सालों में तिब्बत और भारत बॉर्डर पर चीन ने काफी विकास किया है, पूरे-पूरे गांव बसा दिए गए हैं।

अभी तो सीमावर्ती क्षेत्रों के अध्ययन को लेकर भी चीनी सरकार एक बड़ी रणनीति पर काम कर रही है, पूरा प्रयास है कि बॉर्डर एरिया में सरकारी प्रशासन पूरी तरह दुरुस्त रहे।

क्या है बॉर्डर पर झगड़े की असली वजह?

क्या है सीमा को लेकर विवाद?

चीन और भारत के बीच सीमा को लेकर विवाद की वजह 3,488 किमी. लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है। भारत के मुताबिक LAC की लंबाई 3,488 किमी. है, जबकि चीन इसे लगभग 2,000 किमी. ही मानता है। यह तीन हिस्सों में बंटी हुई है। पूर्वी हिस्सा- अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में है, बीच का हिस्सा उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में है और पश्चिमी हिस्सा- लद्दाख में है।

पूर्वी और मध्य हिस्से में ज्यादा विवाद नहीं है लेकिन जो बड़े विवाद हैं, वह पश्चिमी हिस्से में हैं। यहां पर पहली बार LAC की बात सामने आई थी। 1959 में चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाइ के द्वारा तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू को लिखी गई दो चिट्ठियों में चीन की ओर से LAC का जिक्र किया गया था। लेकिन भारत ने 1959 और 1962 में LAC की अवधारणा को पूरी तरह खारिज कर दिया था।

जानकार मानते हैं कि जब तक भारत और चीन के बीच सीमा का पूरी तरह निर्धारण नहीं हो जाता है तब तक सीमा विवाद जारी रह सकता है। दोनों देशों ने समझदारी दिखाते हुए सीमा पर चल रहे तनाव को हल करने का फैसला जरूर लिया है लेकिन सीमा का निर्धारण किए जाने से ही सीमा विवाद पूरी तरह खत्म हो सकता है।