रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर की ओर से नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने का आह्वान किए जाने पर चीन ने गुरुवार को सजग प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विवादित दक्षिणी चीन सागर में शांति व स्थिरता की सुरक्षा करने में भारत ‘रचनात्मक और सकारात्मक’ भूमिका निभा सकता है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि जो देश वास्तव में दक्षिणी चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता की परवाह करते हैं वे इस क्षेत्र में रचनात्मक और सकारात्मक भूमिका निभा सकते है।’
वह दक्षिणी चीन सागर को लेकर अमेरिका और चीन के बीच मौजूदा तनाव के संदर्भ में बुधवार को कुलालालंपुर में पर्रीकर की ओर से नौवहन की स्वतंत्रता पर जोर दिए जाने पर प्रतिक्रिया दे रही थीं। विवादित जल क्षेत्र में अमेरिका की ओर से नौसेना के पोत और सैन्य विमान भेजे जाने को लेकर चीन ने कड़ा विरोध दर्ज किया था और आगाह किया था।
चीन करीब पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है जिसका वियतनाम, फिलीपीन, मलेशिया, ब्रुनेई और ताइवान पुरजोर विरोध करते हैं। इन पांचों देशों को अमेरिका का समर्थन हासिल है। ‘आसियान प्लस’ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में कल पर्रीकर ने इस विवाद के शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद जताई थी।
उन्होंने कहा, ‘यह स्वाभाविक है क्योंकि 1982 के संयुक्त राष्ट्र सामुद्रिक कानून समझौते सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के स्वीकार्य सिद्धांतों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता, जलक्षेत्र से होकर गुजरने का अधिकार और इसके ऊपर से उड़ान भरने का अधिकार, निर्बाध वाणिज्य व संसाधनों तक पहुंच हम सबके लिए चिंता का विषय है।’