पाकिस्तान ने सच कबूल लिया है कि आपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने 10 मई की सुबह नूर खान में वायुसेना अड्डे पर हमला किया था। रविवार को जहां पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने सार्वजनिक तौर पर स्वीकार किया कि आपरेशन सिंदूर में भारत के हमले में नूर खान एअरबेस को भारी नुकसान हुआ था। वहीं पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने खुलासा किया कि उन्हें इस साल मई में भारत की सैन्य कार्रवाई ‘आपरेशन सिंदूर’ के दौरान बंकर में छिपने की सलाह दी गई थी।
पाकिस्तान का यह आधिकारिक कबूलनामा दोनों देशों के बीच चार दिनों तक चले सशस्त्र संघर्ष के आठ महीने बाद संभवत: पहली बार है। अब तक पाकिस्तान आपरेशन सिंदूर के दौरान किसी भी नुकसान को नकराता रहा है। डार ने प्रेस वार्ता में कहा कि भारत ने 36 घंटे में 80 ड्रोन हमले किए थे। उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के घायल होने की बात भी बताई। डार ने कहा, ‘भारत द्वारा भेजे गए 80 में से 79 ड्रोन को रोक दिया गया था। इसके बाद भारत ने 10 मई की सुबह नूर खान वायुसेना अड्डे पर हमला करने की गलती की जिससे पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की।
जरदारी ने यह खुलासा अपनी पत्नी और पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 18वीं पुण्यतिथि के मौके पर सिंध प्रांत के लरकाना में एक कार्यक्रम में किया। 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई थी। डार ने यह भी कहा कि इस्लामाबाद ने मई के संघर्ष के दौरान पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता का अनुरोध नहीं किया था, लेकिन दावा किया कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो और सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन फरहान ने नई दिल्ली से बात करने की इच्छा व्यक्त की थी।
डार ने कहा कि 10 मई को अमेरिकी विदेश मंत्री रूबियो ने उन्हें सुबह करीब 8.17 बजे फोन किया, जिसमें उन्होंने बताया कि भारत युद्धविराम के लिए तैयार है और पूछा कि क्या पाकिस्तान सहमत होगा। डार ने कहा, ‘मैंने कहा कि हम कभी युद्ध नहीं चाहते थे।’ उन्होंने दावा किया कि सऊदी विदेश मंत्री प्रिंस फैसल ने बाद में उनसे भारत से बात करने की अनुमति लेने के लिए संपर्क किया और बाद में पुष्टि की कि युद्धविराम पर सहमति हो गई है।
पहलगाम हमले में 26 नागरिकों के मारे जाने के प्रतिशोध में भारत ने सात मई को आपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को निशाना बनाया गया। इन हमलों के कारण दोनों देशों के बीच चार दिनों तक तीव्र संघर्ष हुआ और 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने की सहमति के साथ यह संघर्ष समाप्त हुआ।
