प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों ब्रिटेन की यात्रा पर हैं, लेकिन उनकी नजरें अगले महीने कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनावों पर टिकी हैं। यही वजह है कि लंदन यात्रा के दौरान पीएम मोदी बुधवार (18 अप्रैल) को टेम्स नदी के किनारे स्थित अल्बर्ट इम्बैंकमेंट गार्डंस में जाकर लिंगायत समुदाय के संत बसवेश्वर की प्रतिम पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। बसवेश्वर 12वीं सदी के समाज सुधारकों और दार्शनिकों में से एक थे। लिंगायत समुदाय में उनको सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि संत बसवेश्वर के आदर्शोँ और विचारों ने दुनिया भर के लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा, ‘ब्रिटेन यात्रा के दौरान भगवान बसवेश्वर को श्रद्धांजलि अर्पित करना मेरे लिए बड़े ही सम्मान की बात है।’ मोदी ने अंग्रेजी और कन्नड़ भाषाओं में इसकी तस्वीरें ट्वीट कर लोगों को इसकी जानकारी दी। पीएम मोदी लिंगायत समुदाय में संत का दर्जा प्राप्त बसवेश्वर को ऐसे वक्त श्रद्धांजलि दी है, जब 12 मई को कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
224 में 124 सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव: कर्नाटक में विधानसभा की कुल 225 सीटें हैं। एक सीट पर राज्य के राज्यपाल एंग्लो-इंडियन समुदाय से आने वाले किसी एक प्रतिनिधि को मनोनीत करते हैं। इस तरह 224 सीटों के लिए चुनाव होता है। लिंगायत समुदाय का कर्नाटक की आबादी में तकरीबन 17 फीसद तक की हिस्सेदारी है, लेकिन इस समुदाय का प्रभाव 124 सीटों पर माना जाता है। ऐसे में कोई भी राजनीतिक दल लिंगायत को नजरअंदाज नहीं कर सकता है। लिंगायत समुदाय परंपरागत तौर पर भाजपा का वोट बैंक रहा है।
London: Prime Minister Narendra Modi paid floral tributes at the bust of Basaveshwara (12th-century Lingayat philosopher) at Albert Embankment Gardens. pic.twitter.com/Z9SJLRsuE7
— ANI (@ANI) April 18, 2018
हालात अलग: इस बार के राजनीतिक हालात कुछ अलग हैं। कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस बाबत एक प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा है। बता दें कि किसी भी समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने का अधिकार केंद्र के ही पास है। केंद्र में भाजपा की सरकार है, ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में इसको लेकर असमंजस की स्थिति है। वहीं, लिंगायत समुदाय का कहना है कि अलग धर्म का दर्जा मिलने के बाद उन्हें अल्पसंख्यक श्रेणी में डाला जाएगा। इससे उन्हें विशेष सुविधा प्राप्त होगी। लिंगायत फिलहाल हिंदू धर्म का ही हिस्सा है। मालूम हो कि भाजपा के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बीएस. येद्दियुरप्पा लिंगायत समुदाय से ही आते हैं।