चीन को लेकर बीजेपी सांसद सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने पीएम मोदी पर फिर तंज कसा है। उनका सरकार से सवाल था कि बीते दिन जापान में घोषणा की गई कि QUAD का गठन चीन की विस्तारवादी नीतियों का विरोध करने के लिए हुआ है। लेकिन भारत सरकार को ये तो बताना चाहिए कि अगर ये संगठन चीन के विरोध में बना है तो हम BRICS में क्या कर रहे हैं।

ये पहली बार नहीं है जब स्वामी मोदी सरकार पर हमलावर हैं। इससे पहले BRICS को लेकर उन्होंने पीएम मोदी पर भारत के स्वाभिमान को कम करने का आरोप लगाया था। उन्होंने ट्वीट में लिखा था कि दुनिया कानाफूसी कर कह रही है कि ब्रिक्स में वास्तव में तीन लोग हैं – साहेब, बीबी और गुलाम। मोदी ने साहेब चीन और बीबी रूस के साथ बैठने की सहमति देकर भारत के स्वाभिमान को कम किया है।

क्या है QUAD और BRICS

QUAD की औपचारिक शुरुआत 2004 में हिंद महासागर में आई विनाशकारी सुनामी के बाद एक अनौपचारिक साझेदारी के रूप में हुई थी। तब चार देश प्रभावित क्षेत्रों को मानवीय एवं आपदा प्रबंधन सहायता मुहैया कराने के लिए साथ आए थे। हालांकि संगठन लगभग एक दशक तक यह निष्क्रिय रहा। 2017 में इसे फिर से जीवित किया गया। ये चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर इस क्षेत्र में बदलते दृष्टिकोण को दर्शाता है। क्वाड नेताओं ने 2021 में अपना पहला औपचारिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया था।

उधर, BRICS दुनिया की पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक समूह है। इसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। दक्षिण अफ्रीका के इस आर्थिक समूह से जुडने से पहले इसे ब्रिक ही कहा जाता था। ब्रिक देशों की पहली शिखर स्तर की आधिकारिक बैठक 16 जून 2009 को रुस के येकाटेरिंगबर्ग में हुई। हालांकि, इससे पहले ब्रिक देशों के विदेश मंत्री मई 2008 में एक बैठक कर चुके थे।

संयुक्त वक्तव्य में चीन पर निशाना

ध्यान रहे कि टोक्यो में चल रही क्वाड देशों की बैठक आज समाप्त हो गई है। यह बैठक लगभग दो घंटे तक चली। बैठक में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत शामिल रहे। इसमें रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर चीन की तानाशाही के मुद्दे उठाए गए। सभी देशों ने हिंद-प्रशांत क्षेत्रों में शांति बहाल करने की बात कही। क्वाड के संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि हम किसी भी जबरदस्ती, उत्तेजक या एकतरफा कार्रवाई का पुरजोर विरोध करते हैं जो यथास्थिति को बदलने और तनाव बढ़ाने की कोशिश करता है। चीन को निशाने पर लेकर इसमें कहा गया कि हम पूर्व और दक्षिण चीन सागर में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में परिलक्षित अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करेंगे।