भारत के रूस से एस-400 मिसाइल सौदे को मंजूरी मिलने के बाद अमेरिका ने कहा है कि भारत, अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन एक्ट (सीएएटीएसए) कानून से बच सकता है अगर वो वाशिंगटन को इस बात का आश्वासन दे कि एफ-16 फाइटर एयरक्राफ्ट की खरीद वो अमेरिका से करेगा। भारत, अमेरिका से यह विमान खरीदने के लिए उत्सुक नहीं है चूंकि ये पहले से ही पाकिस्तान के पास है। नई दिल्ली अभी अमेरिका से ऐसे किसी भी तरह के एयरक्राफ्ट की खरीद करने से मना करता रहा है। वहीं शुक्रवार (19 अक्टूबर, 2018) को सिंगापुर में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिकी समकक्ष जेम्स मैटिस के बीच व्यापक चर्चा में एस-400 सौदे पर ट्रम्प प्रशासन की प्रतिक्रिया नजरअंदाज किया। हालांकि सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस को जानकारी मिली है कि F-16 की खरीद पर CAATSA से छूट की पेशकश इस महीने के शुरुआत में की गई थी। इस मामले में भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारण और अमेरिका रक्षामंत्री जेम्स मैटिस की मुलाकात एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशन डिफेंस मीटिंग प्लस (ADMM Plus) के इतर हुई थी।
खबर के मुताबिक सीतारामन भी दिसंबर के मध्य में रक्षा मंत्री के रूप में अमेरिका की पहली द्विपक्षीय यात्रा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि मैटिस तब भी ट्रम्प प्रशासन का हिस्सा होंगे। मैटिस CAATSA से भारत को छूट देने के लिए प्रबल समर्थक रहे हैं। इसके लिए उन्होंने यूएस कांग्रेस में जोरदार बहस भी की थी। मगर इस मामले में छूट को लेकर फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा किया जाना है, जिन्होंने पिछले सप्ताह कहा था कि ‘भारत आपके सोचने से पहले ही इसका जवाब ढूंढने जा रहा है। यह कोई कंबल की छूट नहीं है जो किसी भी देश को दे दी जाए।’
ट्रंप ने आगे कहा कि CAATSA पर छूट के लिए किसी भी देश को अन्य चीजों के साथ हथियारों पर रूस से अपनी निर्भरता कम करनी होगी। भारत भी CAATSA के तहत आएगा अगर वह रूस को इसके लिए भुगतान करता है। जानकारी के मुताबिक भारत के वित्तीय वर्ष में रूस के साथ 4.5 अरब डॉलर के सौदे का हिस्सा भुगतान करने की संभावना है।
यहां बता दें कि सीएएटीएस में रूस, ईरान और उत्तर कोरिया की कंपनियों के साथ कारोबार करने वाले देशों को निशाना बनाया गया है। अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह का कहना है कि यूक्रेन और सीरिया में जारी युद्ध में मास्को की संलिप्तता रही है। उन्होंने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में रूस की दखलंदाजी का भी आरोप लगाया है। इन्हीं आरोपों को लेकर उन्होंने रूस पर प्रतिबंध लगाया है।
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