जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ अपनी मुलाकात खत्म कर रहे थे, उसकी समय वहां से थोड़ी ही दूर पर एक मानवाधिकार आयोग की सुनाई चल रही थी। जिसमें मौजूद कम से कम तीन यूएस कांग्रेस के सदस्यों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के एक समूह ने भारत में मानव अधिकारों के वर्तमान हालत पर मोदी सरकार की जमकर आलोचना की।
मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे शुरू हुई सुनवाई में कांग्रेस सदस्यों ने भारत में मुस्लिमों और ईसाइयों के प्रति “धमकी, भेदभाव, उत्पीड़न और हिंसा” पर बात की। भारत आ चुके यूएस कांग्रेस के रिपब्लिकन सदस्य ट्रेंट फ्रैंक्स ने उत्तर प्रदेश के दंगों, उड़ीसा की हिंसा और 2002 के गुजरात दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि इस तरह के “भारत में सजा माफी के वर्तमान हालातों की वजह से, बहुत सारे पीड़ितों को शायद कभी न्याय नहीं मिलेगा।”
कांग्रेस सदस्य जोसेफ पिट्स जो कि आयोग के सह-चेहरमैन भी हैं, ने भी कहा कि भारत की आर्थिक प्रगति “मानवाधिकार से जुड़ी चिंताओं को अनदेखा करती है।” धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के लिए बढ़ते हमले “खतरे की घंटी” हैं।
हालांकि भारतीय पक्ष इससे बेफिक्र नजर आया। विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि एक तरफ अमेरिकन कांग्रेस ने प्रधानमंत्री को संयुक्त बैठक संबोधित करने के लिए बुलाया है और दूसरी तरफ, “कुछ लोग कुछ सुनवाई कर रहे हैं।”