काबुल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अफगानिस्तान के लोगों की अफरातफरी को देखकर हर कोई सहम गया। इस घटना की तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हो रही हैं। अब खबर आ रही है कि कतर के एयरपोर्ट पर काबुल का जो विमान उतरा है। उसके लैंडिंग गियर और पहियों में कई शव फंसे हुए मिले हैं।
अमेरिकी वायु सेना ने मंगलवार को कहा कि वह इसकी जांच कर रहे हैं। उन्हें यूएस एयरफोर्स के C-17 ग्लोबमास्टर III के लैंडिंग गियर और पहियों में कुछ शव मिले हैं। वायुसेना ने एक बयान में कहा कि विमान सोमवार को काबुल के हवाईअड्डे पर उतरा था। जिसके बाद सैकड़ों अफगान नागरिकों ने उसे घेर लिया था। बयान में कहा गया, “विमान के चारों ओर तेजी से बिगड़ती सुरक्षा स्थिति का सामना करते हुए, सी-17 चालक दल ने जल्द से जल्द हवाई क्षेत्र से प्रस्थान करने का फैसला किया।”
वहीं काबुल में भारतीय राजदूत एवं दूतावास के कर्मियों समेत 120 लोगों को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान अफगानिस्तान से गुजरात के जामनगर पहुंचा। एक अधिकारी ने बताया कि सी-19 विमान पूर्वाह्न 11 बजकर 15 मिनट पर जामनगर में वायुसेना अड्डे पर उतरा और फिर वह ईंधन भराने के बाद तीन बजे अपराह्न दिल्ली के समीप स्थित हिंडन एयरबेस के लिए रवाना हो गया। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद वहां पैदा हालात के मद्देनजर आपात स्थिति में लोगों को वहां से निकालने के लिए इस विमान ने भारतीय कर्मियों को लेकर काबुल से उड़ान भरी थी।
अधिकारी ने बताया कि सी-17 विमान से उतरने के बाद यात्रियों का वहां मौजूद लोगों ने स्वागत किया। कई यात्रियों को माला पहनायी गयी एवं कई अन्य ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाते नजर आये। अफगानिस्तान में भारतीय राजदूत रूद्रेंद्र टंडन ने यहां संवाददाताओं से कहा कि काबुल में स्थिति अब बहुत जटिल और नाजुक है तथा वहां फंसे लोगों को वाणिज्यिक उड़ान सेवाएं बहाल होने के बाद वापस लाया जाएगा।
वहीं अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अफगानिस्तान पर तालिबान के नियंत्रण और अफगान सेना के तेजी से होते पतन के तथ्यों को लेकर चेताया था। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपनी एक खबर में यह जानकारी दी है।
न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, गर्मियों के दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपने मूल्यांकन में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे की गंभीर आंशका जतायी थी। मूल्यांकन में अफगान सेना के तेजी से पतन को लेकर भी आगाह किया गया था।
हालांकि, राष्ट्रपति जो बाइडन और उनके सलाहकारों ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि ऐसा इतनी जल्दी हो जाएगा इसकी संभावना नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया कि जुलाई महीने तक इस बात को लेकर सवाल उठाते हुए निराशा जताई गई कि क्या अफगान सेना कड़ा मुकाबला कर पाएगी और क्या सरकार काबुल पर मजबूत पकड़ बनाए रख सकती है? रिपोर्ट में यह भी सवाल उठाया गया है कि खुफिया चेतावनी के बावजूद बाइडन प्रशासन के अधिकारी और अफगान के सैन्य रणनीतिकार तालिबान के काबुल में घुसने को लेकर इतने लापरवाह क्यों बने रहे?
