Sheikh Hasina Secret Jail: भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में हुए तख्तापलट और पूर्व पीएम शेख हसीना के सत्ता से बेदखल होने के महीनों बाद सीक्रेट जेलों के बारे में बेहद ही हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। कुछ पीड़ितों ने अब खुलकर अपनी आपबीती बताई है। उन्होंने बताया कि जेलों के अंदर क्या होता था। इसको हाउस ऑफ मिरर्स के नाम से जाना जाता है।
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2009 में शेख हसीना के शासन के दौरान सैकड़ों लोगों को कथित तौर पर सुरक्षाबलों ने उठाया था। इसमें छोटे प्रदर्शन भी शामिल होते थे। वह कई लोगों को कथित तौर पर मार दिया गया और उनके शवों को फेंक दिया गया। इनमें से कुछ को सैन्य हिरासत सेंटर में रखा गया था। इसका नाम हाउस ऑफ मिरर्स था। ऐसे दावे किए जाते हैं कि शेख हसीना ने सत्ता पर अपनी पकड़ को चुनौती देने वाले किसी भी शख्स से निपटने के लिए राज्य मशीनरी को संगठित किया था। इस कोशिश का हिस्सा जबरन गायब करने का कार्यक्रम था।
अब तक कितने लोग बने शिकार
मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि साल 2009 से अब तक करीब 700 से ज्यादा लोग जबरन गायब किए जाने के शिकार हुए हैं। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि असली आंकड़ा इससे भी काफी ज्यादा होने की उम्मीद है। साथ ही जो लोग शेख हसीना की सरकार से खुश नहीं थे और रैलियां या सड़कों को जाम करते थे, उनको भी टारगेट किया गया। इन अंडरग्राउंड जेल में ले जाए गए कई कैदियों ने दावा किया कि सुबह के समय उनको ऊपर परेड की आवाज सुनाई देती थी। कतर और वियतनाम में बांग्लादेश के पूर्व राजदूत मारूफ जमान ने तकरीबन 467 दिन जेल में काटे।
शेख हसीना के खिलाफ वॉरंट, अब क्या करेगा भारत? वापसी पर बांग्लादेश कह चुका है ये बात
हाउस ऑफ मिरर्स नाम क्यों दिया?
अब इसके हाउस मिरर्स नाम की बात की जाए तो यह इसलिए दिया गया था क्योंकि कैदियों को अपने अलावा किसी और शख्स को देखने तक की इजाजत नहीं थी। इसमें जिंदगी काटना काफी मुश्किल था। यहां पर लोगों को काफी टॉर्चर किया जाता था। साथ ही, हेल्थ की भी सही से जांच की जाती थी। हर चार से छह महीने में कैदियों के बाल भी काटे जाते थे।
बांग्लादेशी बैरिस्टर अहमद बिन कासिम को साल 2016 में हिरासत में लिया गया था। उनको करीब आठ साल बाद सीक्रेट जेल के अंदर से बाहर निकाला गया। उन्होंने एएफपी को बताया कि आठ साल बाद पहली बार मुझे खुली और ताजी हवा मिली थी। मुझे ऐसा लगा था कि वह मुझे मार ही डालेंगे। जेलरों को सख्त निर्देश दिए गए थे कि बाहर की खबरें अंदर तक ना पहुंचे। इतना ही नहीं हर टाइम हथकड़ी लगाई जाती थी।