इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच जंग जारी है। इजरायली डिफेंस फोर्सेज ने हिजबुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह को ढेर कर दिया है। इसके बाद से ईरान बौखलाया हुआ है और उसने इजरायल को धमकी दी है। हिजबुल्लाह को कई मुस्लिम देशों का समर्थन भी हासिल है। अब बड़ी बात यह है कि हिजबुल्लाह इतना ताकतवर कैसे हो गया है कि वह इजरायल जैसे देश को टक्कर दे रहा है।
क्या है हिजबुल्लाह?
हिजबुल्लाह एक प्रभावशाली शिया मुस्लिम राजनीतिक दल और सशस्त्र समूह है। लेबनानी संसद और सरकार दोनों में इसकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है, और यह देश में सबसे शक्तिशाली सशस्त्र बल को नियंत्रित करता है। हिजबुल्लाह 1980 के दशक में इजरायल के विरोध में प्रमुखता से उभरा, जिसकी सेना ने देश के 1975-1990 के गृह युद्ध के दौरान दक्षिणी लेबनान पर कब्जा कर लिया था। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार हिजबुल्लाह को वर्षों से ईरान से आर्थिक और सैन्य रूप से मजबूत समर्थन प्राप्त हो रहा है। हिजबुल्लाह सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद का मजबूत सहयोगी भी है। हिजबुल्लाह की सशस्त्र शाखा ने लेबनान में इजरायली और अमेरिकी सेना पर घातक हमले किए हैं।
हिजबुल्लाह ने ईरान से फंडिंग को लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है। हिजबुल्लाह दावा करता है कि उसे धन उसके निवेश और मुसलमानों के दान से हासिल होता है। हिजबुल्लाह संगठन के लेबनान में कई स्कूल, अस्पताल और संस्कृतिक संस्थान हैं। इसके अलावा वह ईरान में कई चैरिटेबल ट्रस्ट भी चलता है।
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हिजबुल्लाह की स्थापना लेबनानी मौलवियों ने की थी। इसका गठन 1982 में किया गया था और इजरायल के आक्रमण से लड़ने के लिए किया गया था। इसके गठन में भी ईरान का बहुत बड़ा हाथ है और शुरू से ही हिजबुल्लाह और ईरान के बीच अच्छे संबंध रहे हैं। इसके लड़ाकों को ट्रेनिंग में मदद ईरान ने ही की थी। 1983 में हिजबुल्लाह ने बेरूत में अमेरिकी दूतावास और अमेरिकी और फ्रांसीसी बैरकों पर बमबारी भी की थी। 1985 से लेकर 2000 तक इजरायल के खिलाफ हिजबुल्लाह ने दक्षिणी लेबनान में लगातार संघर्ष किया।
लेबनानी सरकार में शामिल हिजबुल्लाह
1990 के दशक के दौरान हिजबुल्लाह ने राजनीतिक संगठन बनाया और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया। 2008 में हिजबुल्लाह और उसके विपक्षी सहयोगियों ने एक साथ राष्ट्रीय एकता की सरकार बनाई। इसके बाद ही उसे सशस्त्र संगठन के रूप में मान्यता मिली। हिजबुल्लाह वर्तमान में लेबनान सरकार में भी शामिल है। हिजबुल्लाह को लेबनान के शिया समुदाय का मजबूत समर्थन हासिल है। हिजबुल्लाह का स्ट्रांग बेस दक्षिणी लेबनान माना जाता है। बेरूत और उसके आसपास के क्षेत्र में इसकी मौजूदगी काफी मजबूत है। लेबनान की संसद में कुल 128 सीटें हैं और उसमें से 14 सीट हिजबुल्लाह के पास है। वह रेजिस्टेंस और डेवलपमेंट ब्लॉक का सदस्य भी है। लेबनान में शिया समुदाय का प्रतिनिधित्व एक तरीके से हिजबुल्लाह ही करता है।
2022 में लेबनान में गठबंधन की सरकार का बहुमत चला गया लेकिन अभी तक सरकार नहीं बन पाई। उसके बाद से ही कार्यवाहक सरकार बनी है, जिसमें हिजबुल्लाह के लोग मंत्री पद लिए बैठे हैं।
2018 में भी हासिल हुई जीत
2018 के लेबनानी आम चुनाव में हिजबुल्लाह ने 13 उम्मीदवार उतारे थे और इसमें से 12 ने जीत हासिल की थी। हिजबुल्लाह ने अपने घोषणा पत्र में कहा था कि वह भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करेगा और रेजिस्टेंस ब्लॉक के प्रति लॉयल्टी ही उसकी प्राथमिकता होगी। हिजबुल्लाह ने नारा दिया था कि हम निर्माण करेंगे और रक्षा करेंगे। आम चुनाव में हिजबुल्लाह समर्थित गठबंधन ने 128 में से 70 सीटें जीती थी और सरकार बनाई थी।
मीडिया पर हिजबुल्लाह का कंट्रोल
हिजबुल्लाह का मीडिया पर भी बड़ा कंट्रोल है। उसका खुद का एक सैटेलाइट टीवी स्टेशन अल मनार टीवी और एक रेडियो स्टेशन अल नूर है। यह दोनों ही लेबनान के बेरूत से संचालित होता है। 1991 में अल मनार टीवी को ईरान की मदद से लॉन्च किया गया था।
हिजबुल्लाह अपने मीडिया का इस्तेमाल पूरी अरब दुनिया में अपना संदेश फैलाने के लिए करता है। वहीं अमेरिका ने हिजबुल्लाह के टीवी चैनल अल मनार टीवी नेटवर्क को आतंकवादी संगठन के रूप में लिस्ट किया है। दिसंबर 2004 में ही अमेरिका ने इसे प्रतिबंधित कर दिया था। वहीं अमेरिका के बाद फ्रांस, स्पेन और जर्मनी ने भी इसे प्रतिबंधित किया है।
हिजबुल्लाह के पास 1 लाख लड़ाके
हिजबुल्लाह के पास दक्षिणी लेबनान में हजारों लड़ाके और मिसाइल हैं। यह दुनिया में सबसे भारी हथियारों से लैस, गैर-स्टेट सैन्य बलों में से एक है। हिजबुल्लाह ने दावा किया है कि उसके पास 100,000 लड़ाके हैं। हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह संख्या 20,000 से 50,000 के बीच है। कई लोग अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं और सीरियाई गृहयुद्ध में लड़ चुके हैं। सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज थिंक टैंक के अनुसार हिजबुल्लाह के पास अनुमानित 120,000-200,000 रॉकेट और मिसाइलें हैं। ज्यादातर मिसाइल छोटे, अन गाइडेड, सतह से सतह पर मार करने वाले तोपखाने रॉकेटों से बना है। इसके पास गाजा में हमास की तुलना में कहीं अधिक अपडेटेड हथियार हैं।
मुस्लिम देशों का समर्थन
हिजबुल्लाह को कई मुस्लिम देशों का समर्थन हासिल है। इसमें इराक, सीरिया, ईरान, लेबनान, फिलिस्तीन और यमन प्रमुख देश हैं। इराक ने हिजबुल्लाह चीफ की मौत पर 3 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।