केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने शनिवार को कहा कि रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) सिर्फ स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ही चुनौती या खतरा नहीं है बल्कि इसके ‘गंभीर आर्थिक परिणाम’ भी होते हैं। दुनिया के देशों द्वारा दवाओं के तार्किक इस्तेमाल और उनकी बिक्री के उचित नियमन की जरूरत पर जोर देते हुए नड्डा ने यह बात कही ।
अलग-अलग देशों के आर्थिक विकास के अलग-अलग चरणों में होने का जिक्र करते हुए नड्डा ने कहा कि एएमआर से मुकाबले के लिए एकसमान उपलब्धि हासिल करने के लक्ष्य तय करने के साथ-साथ घरेलू, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय माध्यमों के जरिए प्रौद्योगिकीय एवं वित्तीय संसाधनों का सतत समर्थन भी जरूरी है। तोक्यो में एएमआर पर एशियाई देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए नड्डा ने कहा, ‘इस साल के अत में एएमआर पर संयुक्त राष्ट्र की उच्च स्तरीय बैठक के मद्देनजर हमें मौजूदा प्रतिबद्धताओं की पुन: पुष्टि करनी चाहिए और सभी देशों में एएमआर राष्ट्रीय कार्ययोजना को लागू कराने के लिए जरूरी संसाधन जुटाने पर ध्यान देना चाहिए।’
एएमआर को छोटे और विकासशील सहित सभी देशों के लिए स्वास्थ्य संबंधी चुनौती करार देते हुए नड्डा ने कहा कि वर्तमान में उपलब्ध एंटीबायोटिक के प्रति पैथोजेन के बढ़ते प्रतिरोध से ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं जिससे सर्जरी और औषधि के क्षेत्र में तकनीकें और प्रक्रियाएं ‘बेकार और निष्प्रभावी’ हो सकती हैं।’