H1-B Visa America Trump News: अमेरिका में कुछ ही दिनों में डोनाल्ड ट्रंप की बतौर राष्ट्रपति ताजपोशी होने जा रही है। उनके आने से पहले उनकी नीतियों को लेकर चर्चा ज्यादा चल रही है। ऐसे ही एक नीति अप्रवासियों को लेकर भी रहती है, जिसे काफी कठोर माना जाता है, जिससे एक बड़ा वर्ग डरता है। लेकिन उसी नीति में ट्रंप ने अपनी ताजपोशी से पहले ही सबसे बड़ा यू टर्न ले लिया है। H1-B वीजा के सबसे बड़े दुश्मन अब सबसे बड़े फैन बनते दिख रहे हैं।
अब क्योंकि सुर बदल गए हैं, ऐसे में दुनिया भी हैरान नजरों से बस इस बदलाव को समझने की कोशिश कर रही है। इस एक बदलाव कई सवालों को भी जन्म दे दिया है। आइए आसान शब्दों में इस पूरे विवाद को समझते हैं, डोनाल्ड ट्रंप का पहले वाला और अब का स्टैंड जानते हैं। इस H1-B वीजा की पूरी एबीसीडी भी बताने का काम करते हैं।
क्या होता है H1-B वीजा?
H1-B वीजा एक नॉन इमीग्रेंट वीजा कहलाता है, इस एक वीजा के दम पर दुनिया के किसी भी कोने से आए लोग अमेरिका में अस्थायी रूप से काम कर सकते हैं। ऐसा देखा गया है कि एच 1 बी वीजा सबसे ज्यादा IT प्रोफेशनल, आर्किट्रेक्टचर, हेल्थ प्रोफेशनल से जुड़े लोगों को मिलता है। अगर एक बार किसी को यह वीजा मिल जाए तो तीन साल तक वो आराम से अमेरिका में काम कर सकता है। लेकिन अगर उसका एम्पलॉयर या कंपनी उसे नौकरी से निकाल दे, उस स्थिति में वीजा खत्म हो जाता है। ऐसे में समय रहते दूसरी नौकरी मिलना जरूरी हो जाता है।
अभी वर्तमान में अमेरिका हर साल 65 हजार ऐसे वीजा निकालती है, यहां भी 70 फीसदी से ज्यादा वीजा तो भारतीयों को मिलते हैं। दूसरे शब्दों में बोलें तो हर 10 में से 7 ऐसे वीजा किसी भारतीय को मिल रहे हैं, यानी कि उन्हीं का पूरा दबदबा है और उन्हीं को इस वीजा से सबसे ज्यादा फायदा होता है।
ट्रंप ने इस बार H1-B वीजा पर क्या बोला?
ट्रंप ने इस बार मीडिया से बात करते हुए कहा है कि मैंने तो हमेशा से ही एच 1 बी वीजा को पसंद किया है, मैं हमेशा से ही इसका पक्षधर रहा हूं। इसी वजह से तो हमने इसे जारी रखा है। मेरी प्रॉपर्टी पर खुद कई के पास एच 1 बी वीजा है। मैं तो इस पॉलिसी में पूर्ण विश्वास रखता हूं, खुद इसका कई बार इस्तेमाल किया है। यह एक बेहतरीन योजना है।
ट्रंप H-1B वीजा को लेकर पहले क्या बोलते थे?
जब ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति थे, तब वे इसी एच 1 बी वीजा को श्रमिकों के लिए बहुत बुरा मानते थे, उनका तर्क रहता था कि इस वजह से अमेरिका के लोगों का हक छीना जा रहा है। उनकी तब की सरकार भी अमेरिका फर्स्ट पॉलिसी के तहत आगे बढ़ती थी। इसी वजह से एक समय के बाद H-1B रिजेक्ट करने की दर में वृद्धि देखने को मिली थी।
बाइडेन के टाइम में कैसी स्थिति रही?
सभी आंकड़े बताते हैं कि बाइडेन के कार्यकाल में एच 1 बी वीजा को ज्यादा समर्थन मिला है। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि 2016 से 2018 तक तो वीजा रिजेक्ट होने के मामले 24 फीसदी तक बढ़ गए थे, वहीं 2019 से फिर ट्रेंड में कुछ कमी देखने को मिली। 2021 तो आते-आते यह आंकड़ा 4 फीसदी पर पहुंच गया था। ऐसे में सभी मानकर चल रहे थे कि बाइडेन एच 1 बी वीजा का समर्थन करते थे और ट्रंप इसका विरोध।
एच 1 को लेकर मस्क ने क्या बोला?
एच 1 वीजा को लेकर एलन मस्क की हमेशा से ही राय समर्थन में दिखी है। वे राजनीति में तो अभी सक्रिय दिखाई दिए हैं, लेकिन बतौर उद्योगपति वे मानते हैं कि एच 1 बी वीजा एक बेहतरीन पॉलिसी है। इस बार मस्क ने तो इसको बचाए रखने के लिए युद्ध करने तक की बात कर दी है। वे मानते हैं कि उनकी जो कंपनियां आज इतनी बुलंदियों को छू रही है, उसमें एच 1 बी वीजा के जरिए आए लोगों का बड़ा हाथ है।
क्या मस्क के सामने झुके ट्रंप?
अब इस सवाल का जवाब इस बात में छिपा है कि एलन मस्क ने चुनाव के दौरान ट्रंप की काफी मदद की थी। एक तरफ अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से उन्होंने पूरी तरह ट्रंप का समर्थन किया तो वहीं दूसरी तरफ प्रचार के लिए उन्हें भारी मात्रा में पैसा भी दिया। इसके ऊपर ट्रंप क्योंकि खुद एक उद्योगपति रहे हैं, उनकी राजनीति भी उसी के इर्ग-गिर्द घूमती है। वे कई ऐसे बदलाव चाहते हैं जिनमें उद्योगपतियों का समर्थन जरूरी रहेगा। ऐसे में एलन मस्क को साथ रखना उनके लिए जरूरी है। एच 1 वीजा के बारे में और जानने के लिए यहां क्लिक करें