पाकिस्तान के सैनिक शासक, तानाशाह और राष्ट्रपति थे याहया खान। वो शिया मुस्लिम थे जिनका जन्म अफगानिस्तान से माइग्रेट होकर आए एक परिवार में हुए था। पाकिस्तान के पहले तानाशाह अयूब खान ने आगा याहया खान को फौज में खूब आगे बढ़ाया था। हालांकि बाद में याहया ने अयूब का तख्तापलट करके सत्ता पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने पूरे देश में मार्शल ला लगा दिया था। उन्हीं के राज में पाकिस्तान में 1970 के देशव्यापी चुनाव हुए थे, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में शेख मुजीब रहमान को बड़ी जीत मिली थी। लेकिन मनमौजी याहया ने उन्हें गद्दी नहीं सौंपी बल्कि उन्हें जेल में डाल दिया था। इसी वजह से पूर्वी पाकिस्तान में हालात बिगड़े थे और मामला इतना ज्यादा बढ़ गया था कि अंतत: पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश एक नया देश बन गया।
याहया को रंगीन मिजाज शासक माना जाता था। मशहूर सिंगर मलिका-ए-तरन्नुम नूरजहां से उनका बेहद नजदीकी संबंध था। अकलीम अख्तर से उनका लगाव और संबंध ऐसा था कि लोग उन्हें जनरल रानी कहने लगे थे। याहया को पार्टियों और तोहफे देने का बहुत शौक था, वो हर सप्ताह किसी न किसी बहाने से पार्टियां आयोजित कर ही लिया करते थे। यहां शराब की नदियां बहती थीं और शबाब का उल्लेख तो कई किताबों में किया गया है।
पाकिस्तानी शासकों पर गहन अध्ययन कर चुके और भारतीय कैबिनेट सचिवालय में विशेष सचिव रहे तिलक देवेशर ने अपनी किताब पाकिस्तान एट द हेल्म में इसका अच्छा विवरण दिया है। उन्होंने लिखा है कि याहया खान फारसी बोलने वाले पठान थे। वो पंजाबी भी बहुत अच्छी बोल लेते थे। उनकी हाजिर जवाबी और सेंस ऑफ ह्यूमर भी गजब का था। लेकिन उनमें कई ऐब भी थे। उन्हें शराब पीने का भी बहुत शौक था। उनमें किसी शराबी व्यक्ति के सभी अवगुण मौजूद थे।
वो रोजाना शाम आठ बजे शराब पीना शुरू करते थे और 10 बजे तक बेकाबू हो जाते थे। इस वजह से वो इतने अधिक बदनाम थे कि सैनिक कमांडरों को यह निर्देश दिया गया था वो याहया के ऐसे किसी मौखिक आदेश का पालन न करें जो रात के 10 बजे के बाद दिए गए हों। यह आदेश पाकिस्तान के चीफ ऑफ द स्टाफ जनरल अब्दुल हमीद खान ने राज्यों के सभी सीनियर अधिकारियों को खुद दिया था। साथ ही यह भी कहा गया था कि यदि ऐसा कोई आदेश आता भी है तो उनका तभी पालन किया जाए जब अगले दिन वो खुद उसकी पुष्टि राष्ट्रपति कार्यालय से कर लें।
पाकिस्तान एट द हेल्म में हसन अब्बास की किताब ‘पाकिस्तांस ड्रिफ्ट इन टू एक्सट्रीमिज्म’ में एक बड़ा मशहूर किस्सा बयान किया गया है। यह 1971 में उन दिनों की बात है जब पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली लड़ाके आजादी के लिए लड़ाई कर रहे थे और पश्चिमी बॉर्डर पर पाकिस्तान-पाकिस्तान का युद्ध चल रहा था। यह लड़ाई अपने निर्णायक मोड़ तक आ चुकी थी। पाकिस्तान फौज के आत्मसमर्पण से ठीक एक दिन पहले की शाम को याहया पार्टी कर रहे थे। उन्होंने पेशावर में अपने लिए एक नया घर बनवाया था और उसकी हाउस वार्मिंग’ पार्टी दी। जैसे-जैसे पार्टी परवान चढ़ती गई, लोगों ने शराब के नशे में अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। एक समय ऐसा आया जब पूरी पार्टी में बिना कपड़ों के महिला और पुरुष दिख रहे थे। ऐसे में याहया ने अपनी एक दोस्त को उसी नग्न हालत में घर छोड़ने की जिद पकड़ ली थी। हालांकि उनके सैनिक सचिव ने किसी तरह उनको समझाया कि कपड़े पहनकर ही बाहर जाएं।
नशे में उगल दिया था युद्ध का राज: भारत और पाकिस्तान में 1971 की लड़ाई शुरू होने से करीब 10 दिन पहले याहया खान ने न्यू यॉर्कर मैग्जीन के अमेरिकी पत्रकार बॉब शैपलीको को भारत पर हमला करने की मंशा बता दी थी। पार्टी कर रहे याहया उस समय भयंकर नशे में थे और उसी हालत में उन्होंने यह सब उगल दिया था। याहया की बात तब सच साबित हो गई जब पाकिस्तान ने 3 दिसंबर, 1971 में भारत के पश्चिमोत्तर सैन्य ठिकानों पर हवाई हमला शुरू कर दिया। इसके तुरंत बाद भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने हवाई हमलों को देश पर छेड़ा गया युद्ध करार दिया। उसी दिन आधी रात को भारत ने पूर्वी पाकिस्तान और अब के बांग्लादेश पर सैन्य, हवाई और नौसैनिक हमला कर दिया था।
औरतें उनकी कमजोरी थीं: ब्रिटिश पत्रकार ओवेन बेनेट जोंस ने अपनी किताब ‘पाकिस्तान: आई ऑफ द स्टॉर्म’ में बताया है कि याहया खान को ‘लेडीज मैन’ भी कहा जाता था। उनकी कई महिलाओं के साथ उनकी दोस्ती थी। अक्लीम अख्तर से तो इतनी गहरी दोस्ती थी कि लोग उन्हें ‘जनरल रानी’ कहने लगे थे। नूरजहां को वो प्यार से’नूरी’ कहते थे।
