अंतरराष्ट्रीय आतंकी वित्तपोषण की निगरानी संस्था (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में बरकरार रखा है। पाकिस्तान को टेरर फंडिंग पर कार्रवाई करने के लिए फरवरी 2020 तक की डेडलाइन दी गई है। संस्था के इस फैसले से पाकिस्तान फिलहाल ब्लैक लिस्ट होने से बच गया है।

निगरानी संस्था ने चार महीने की मोहलत देते हुए पाकिस्तान से कहा है कि वह फरवरी 2020 तक एक्शन प्लान तैयार करे। और टेरर फंडिंग बंद करें। पेरिस में हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। पाकिस्तान से कहा गया है कि अगर वह टेरर फंडिंग पर एक्शन लेने में नाकामयाब रहे तो सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मालूम हो कि पाकिस्तान के अपर्याप्त प्रदर्शन को देखते हुए वह कड़ी कार्रवाई के कगार पर था लेकिन फिलहाल चार महीने की राहत के साथ-साथ उसे चेतावनी भी मिली है। वह एफएटीएफ द्वारा निर्धारित 27 बिंदूओं में से केवल छह बिंदुओं को पारित करने में कामयाब रहा।

इन 27 बिंदूओं में टेरर फंडिंग को लेकर कौन देश कितना काम और उपाय कर रहा है यह निर्धारित किया गया है। पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था। इसके साथ उससे कहा गया था कि वह अक्टूबर 2019 तक एक्शन प्लान तैयार करे वर्ना ईरान और नॉर्थ कोरिया की तरह ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।

गौरतलब है कि ‘ग्रे लिस्ट’ में रहने से पाकिस्तान को वित्तीय मदद मिलना मुश्किल है। आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक और यूरोपियन यूनियन इस लिस्ट में डाले गए किसी भी देश को वित्तीय मदद मुहैया नहीं करती। अगर पाकिस्तान ग्रे से ब्लैक लिस्ट में डाला जाता है तो पाकिस्तान पूरी तरह से विश्व में अलग-थलग पड़ जाएगा। ब्लैक लिस्ट में कई तरह के प्रतिबंधों को शामिल किया गया है।

उल्लेखनीय है कि एफएटीएफ एक अंतर-सरकारी निकाय है, जिसे धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए अन्य खतरों का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया है। भारत समेत 39 देश एफएटीएफ के सदस्य हैं। यही नहीं आईएमएफ और विश्व बैंक जैसी संस्थाएं भी एफटीएफ से जुड़ी हैं।