अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की घोषणा की है, साथ ही 9.72% अतिरिक्त शुल्क भी लगाया है। ऐसे में कुल टैरिफ 59.72% तक पहुंच जाएगा। इसका सीधा असर आंध्र प्रदेश के झींगा उत्पादकों पर भी पड़ने की संभावना है।

आंध्र प्रदेश मत्स्य विभाग के संयुक्त निदेशक (जलीय कृषि) एस लाल मोहम्मद ने इंडियन एक्स्प्रेस से कहा, “अगर अमेरिका 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो कई झींगा उत्पादकों को मछली पालन बंद करने या अन्य प्रजातियों का उत्पादन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा, जिनसे उन्हें अधिक लाभ नहीं मिलता।”

आंध्र प्रदेश से लगभग 90% बड़े झींगे अमेरिका को निर्यात किए जाते

मोहम्मद ने बताया, “मध्यम और बड़े उत्पादक बड़े आकार के झींगों का उत्पादन करते हैं, जिन्हें 30-काउंट या 40-काउंट कहा जाता है जो प्रति किलोग्राम झींगों की संख्या को दर्शाता है। लगभग 90% बड़े झींगे अमेरिका को निर्यात किए जाते हैं और 350-400 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकते हैं। भारी शुल्क के कारण, निर्यातक इन्हें खरीदने से बचेंगे।” उन्होंने कहा कि अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने से उत्पादक संभवतः छोटे आकार के झींगे उत्पादन की ओर अग्रसर होंगे जैसे कि 100 काउंट वाली किस्म, जो लगभग 220-230 रुपये प्रति किलोग्राम में बिकती है, जिसे आमतौर पर अमेरिका नहीं भेजा जाता।

ट्रंप की सनक का अमेरिकी सांसद ने किया विरोध

आंध्र प्रदेश में लगभग 6.5 लाख जलकृषक हैं

वहीं, भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ के सचिव (आंध्र प्रदेश क्षेत्र) डी. दिलीप ने कहा कि जब तक टैरिफ का मुद्दा तुरंत नहीं सुलझता, पूरा क्षेत्र ठप हो जाएगा। उन्होंने कहा, “हम न केवल जलीय तालाबों और खेतों बल्कि हैचरी, झींगा प्रसंस्करण इकाइयों, पैकेजिंग इकाइयों, शीतगृहों और बर्फ कारखानों के संचालन को भी बंद करने की बात कर रहे हैं।” दिलीप ने कहा कि सरकार के अनुसार, आंध्र प्रदेश में लगभग 6.5 लाख जलकृषक हैं, उनके अलावा उत्पादन में शामिल लगभग 30-40 लाख अन्य लोगों की आजीविका पर भी असर पड़ सकता है।

भारत के झींगा निर्यात का 60 प्रतिशत आंध्र प्रदेश से आता है। दिलीप ने कहा, “अमेरिका मुख्यतः एक प्रीमियम बाज़ार है। हम उसके सभी प्रमुख सुपर स्टोर्स को आपूर्ति करते हैं और उन स्टोर्स में 40% झींगा आंध्र प्रदेश से आता है।”

झींगा का बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश से निर्यात किया जाता है

जहां झींगा का बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश से निर्यात किया जाता है, वहीं दूसरा प्रमुख आपूर्तिकर्ता, ओडिशा भी आने वाले समय में मुश्किलों का सामना करने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, ओडिशा सालाना 2,000 करोड़ रुपये मूल्य के समुद्री खाद्य पदार्थों, खासकर झींगा का निर्यात करता है, जिनमें से 30% से ज़्यादा खेप अमेरिका जाती है।

भीमावरम स्थित प्रमदा मरीन एक्सपोर्ट्स लिमिटेड के मालिक वाई प्रसाद राव ने इंडियन एक्स्प्रेस से कहा कि टैरिफ के कारण, अधिकांश निर्यातक पहले से ही 5-6% लाभ मार्जिन पर काम कर रहे हैं। राव ने कहा, “केवल बड़े ब्रांड वैल्यू वाले बड़े निर्यातक ही 10% मार्जिन पर काम करते हैं। बाकी को 5-6% का मुनाफा होता है। लगभग 20% जलीय उत्पाद निर्यातक ही अमेरिका को निर्यात कर पाते हैं, और बाकी यूरोपीय संघ, चीन, रूस, वियतनाम को निर्यात करते हैं। टैरिफ में इस वृद्धि से उत्पादों की लागत में भारी वृद्धि होती है। अमेरिकी बाजार में कोई भी भारतीय जलीय उत्पाद इतनी कीमतों पर नहीं खरीदेगा। इस वजह से निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा है। सभी कामकाज ठप पड़े हैं।”

टैरिफ पर डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के सामने भारत अड़ा

भारत से जाने वाले झींगा और जलीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे

भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ के एक अधिकारी ने कहा कि चूंकि निर्यातकों को कीमतें बढ़ाने के लिए मजबूर किया जा रहा है इसलिए भारत से जाने वाले झींगा और अन्य जलीय उत्पाद अन्य देशों की तुलना में महंगे हो जाएंगे। आंध्र प्रदेश राज्य जलीय कृषि विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, अनम वेंकट रमण रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार जलीय किसानों की मदद के लिए विभिन्न विकल्पों पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि लगभग 6.5 लाख जलीय किसान विभिन्न आकार के झींगे, कतला, रोहू और सीबास जैसी मछलियों के साथ-साथ केकड़ों का भी पालन करते हैं।

रेड्डी ने कहा, “हम जल-कृषकों के साथ इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि उन्हें इस झटके से कैसे उबारा जाए। कुछ किसान निर्यात की जाने वाली किस्म की खेती बंद कर देंगे और छोटे आकार के झींगे पैदा करेंगे जिससे उन्हें कम मुनाफ़ा होगा। हम यूरोपीय संघ और रूस को निर्यात बढ़ाने पर भी विचार कर रहे हैं। हम न केवल आंध्र प्रदेश में बल्कि अन्य राज्यों में भी घरेलू खपत को प्रोत्साहित कर रहे हैं।”

सरकार उठा रही यह कदम

आंध्र प्रदेश एपी प्रॉन प्रोड्यूसर्स कंपनी भी स्थापित कर रहा है जो उत्पादकों से झींगा खरीदेगी और उसे छोटे पैकेटों में जैसे 50 ग्राम या उससे अधिक, सभी आय वर्गों के लिए बेचेगी। मोहम्मद ने कहा, “50 ग्राम के पैकेट की कीमत लगभग 50 रुपये होगी और इसमें आठ-नौ टुकड़े होंगे। अंडों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए यह किफायती है।” आने वाले कठिन समय को देखते हुए, मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने अप्रैल में केंद्र को पत्र लिखकर राज्य के जलीय कृषि उत्पादों और जलीय क्षेत्र को ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए जा रहे भारी शुल्कों से बचाने का अनुरोध किया था। पढ़ें- अब ट्रेड डील पर बात करने से ट्रंप का इनकार