हाल ही में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को हराते हुए जीत दर्ज की। जीत के बाद से ही ट्रंप कैबिनेट के नॉमिनेटेड सदस्यों, उनकी नीतियों पर चर्चा जारी है। हालांकि, ट्रंप के दोबारा चुने जाने से स्टूडेंट्स में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाने का आकर्षण कम हो रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे में यह बात सामने आई।

कीस्टोन पल्स सर्वे में यह बात सामने आई है। अक्टूबर में 600 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के बीच यह सर्वे कराया गया जिसमें उनसे यह सवाल किया गया कि क्या डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका जाने के उनके फैसले पर कोई असर पड़ेगा? सर्वे में शामिल स्टूडेंट्स में से 42% ने संकेत दिया कि ट्रंप के दोबारा निर्वाचित होने के कारण उनके अमेरिका में पढ़ाई के लिए जाने की संभावना कम है। वहीं, 41% छात्रों ने कहा कि वह फिलहाल इस पर कोई फैसला नहीं ले सकते हैं।

वहीं, 5% स्टूडेंट्स ने ट्रंप की जीत के बाद साफतौर पर अमेरिका में अध्ययन करने में अरुचि दिखाई। कीस्टोन स्टडी ने चुनाव से पहले और बाद के हफ्ते में इकट्ठा किए गए डेटा का विश्लेषण किया, जिससे पता चला कि अमेरिकी संस्थानों में स्टूडेंट्स के इंटरेस्ट में ओवरऑल 3% की गिरावट आई है, जिससे पता चलता है कि स्नातकोत्तर छात्र राजनीतिक परिवर्तनों से विशेष रूप से प्रभावित होते हैं और अमेरिका में बदलती स्थिति के बारे में अधिक जागरूक होते हैं।

विदेशी छात्रों को ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले यूनिवर्सिटी लौटने की सलाह

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप की इमिग्रेशन और मास डिपोर्टेशन योजनाओं पर चिंताओं के बीच, अंतर्राष्ट्रीय छात्रों और कर्मचारियों को जनवरी में नव-निर्वाचित राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण से पहले परिसर में लौटने की सलाह दी गई है। आंकड़ों के मुताबिक, सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्रों में से लगभग 5% अंतर्राष्ट्रीय छात्र हैं।

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इस महीने की शुरुआत में, रिपब्लिकन पार्टी के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने पुष्टि की थी कि उनकी योजना सीमा सुरक्षा पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने और अमेरिका में अवैध प्रवासियों को बड़े पैमाने पर निर्वासित करने के लिए अमेरिकी सेना का उपयोग करने की है।

इमिग्रेशन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान में बड़े मुद्दों में से एक था

चूंकि, इमिग्रेशन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अभियान में बड़े मुद्दों में से एक था, जहां ट्रंप ने लाखों लोगों को निर्वासित करने और मैक्सिको सीमा को स्थिर करने का वादा किया था। बीबीसी ने हायर एड इमिग्रेशन पोर्टल के हवाले से बताया कि 400,000 से अधिक अवैध छात्र अमेरिकी हायर एजुकेशन में नामांकित हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन (IIE) और अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा किए गए लगभग 3,000 कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के एक सर्वे के अनुसार, पिछले शैक्षणिक वर्ष के दौरान 1.1 मिलियन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय छात्र अमेरिका में थे।

कनाडा में भी इंटरनेशनल स्टूडेंट्स की एंट्री पर लगाई गई लिमिट

ऐसा ही कुछ कनाडा में भी देखने को मिल रहा है जहां जस्टिन ट्रूडो सरकार द्वारा कनाडा में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के प्रवेश पर लगाई गई सीमा से कनाडा के कॉलेजों को नुकसान हो सकता है। एक कनाडाई कॉलेज ने सरकारी नीतियों में बदलाव और छात्रों के नामांकन में अनुमानित गिरावट का हवाला देते हुए 40 एजुकेशनल प्रोग्राम्स को निलंबित कर दिया है और कर्मचारियों की संख्या में कटौती की है।

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सीबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, मिसिसॉगा, ब्रैम्पटन और ऑकविले में परिसरों वाले ओन्टारियो स्थित शेरिडन कॉलेज को अगले वर्ष लगभग 30% कम छात्रों की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व में 112 मिलियन डॉलर की हानि होगी। हाल ही में कनाडा ने स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) और नाइजीरिया स्टूडेंट एक्सप्रेस (NSE) पहल को खत्म करने की घोषणा की थी। कनाडा के इमिग्रेशन अधिकारियों के अनुसार, एसडीएस और एनएसई पहल को समाप्त करने का निर्णय कार्यक्रम की अखंडता को मजबूत करने और सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों को, चाहे वे किसी भी देश के हों, आवेदन प्रक्रिया तक समान और निष्पक्ष पहुंच सुनिश्चित करने के प्रयास का हिस्सा है।

एसडीएस के तहत स्टडी परमिट के लिए फास्ट प्रोसेस टाइम होता था और आवेदन ही ज्यादा स्वीकार किए जाते थे। घोषणा के बाद आवेदन किए गए अध्ययन परमिटों पर नियमित प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी

यह देश हैं इंडियन स्टूडेंट्स के सबसे फेवरेट

भारत के मामले में चार बड़े देश – अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया हायर स्टडीज़ के लिए भारतीय छात्रों द्वारा सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। कोविड के बाद भारतीयों को आयरलैंड, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, इटली और माल्टा जैसे अन्य पश्चिमी यूरोपीय देशों में अवसर दिखाई देने लगे। इन देशों के अलावा हंगरी, लातविया, पोलैंड और लिथुआनिया में भी शिक्षा के प्रति रुचि बढ़ रही है। भारतीयों का ध्यान सिर्फ़ पश्चिम की ओर ही नहीं है जापान और दक्षिण कोरिया जैसे पूर्वी एशियाई देश अंतरराष्ट्रीय छात्रों को आकर्षित करने के लिए सरकारी पहल और रोजगार के अवसरों की घोषणा कर रहे हैं।

वहीं, दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को राहत देते हुए चीन-मैक्सिको और कनाडा पर नए टैरिफ लगाने के संकेत दिए हैं जबकि भारत को फिलहाल इससे दूर रखा है, पढ़ें पूरी खबर