India-US Conflict Over: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अमेरिका के संबंध को मजबूत बताया था और टैरिफ को लेकर तमाम विवादों के बावजूद यह कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ उनकी दोस्ती मजबूत है। जो ट्रंप कुछ दिनों पहले भारत के लिए नकारात्मक बयान दे रहे थे, उन्होंने अपने रुख में अचानक ही बदलाव किया। ट्रंप के रुख को लेकर पूर्व भारतीय राजनयिक के.पी. फैबियन ने कहा कि उन्हें अब अपने पुराने काम पर पछतावा हो रहा है।

पूर्व राजनयिक केपी फैबियन ने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह अहसास होने लगा है कि भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने और अन्य प्रतिबंधों की धमकी देकर की गई उनकी आक्रामक रणनीति से वांछित परिणाम नहीं मिले हैं। फैबियन की यह टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के प्रति अपने रुख में नरमी लाने के बाद आई है।

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‘टैरिफ का नहीं कोई ठोस अधिकार नहीं’

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बदलते सुर को लेकर फैबियन ने कहा कि ट्रंप द्वारा लगाए गए अमेरिकी टैरिफ का कोई ठोस आधार नहीं है और उनकी धारणाओं में भारत के संकल्प को ध्यान में नहीं रखा गया है। पूर्व राजनयिक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एक सौहार्दपूर्ण ट्वीट का जवाब देने के लिए जो उचित था, वह किया, लेकिन इससे हम यह निष्कर्ष नहीं निकाल सकते कि हम इस, जिसे मैं ‘ट्रिपल टी’ कहता हूं – ट्रम्प टैरिफ़ का जल्द ही अंत देखेंगे।

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पूर्व राजनयिक ने कहा कि ट्रंप टैरिफ़ का मतलब है बिना किसी आधार के। लेकिन साथ ही, यह भी स्पष्ट है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह एहसास होने लगा है कि जब उन्होंने अतिरिक्त 25 प्रतिशत की धमकी दी थी, तो उनकी मूल अपेक्षा थी कि भारत आत्मसमर्पण कर देगा। उन्हें एहसास होने लगा है कि वे गलत थे।

एकतरफा उपायों को स्वीकार नहीं करेगा भारत

पूर्व राजनयिक फैबियन ने यह भी कहा कि भारत आपसी व्यापार और मैत्रीपूर्ण संबंधों के लिए खुला है लेकिन उससे यह अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए कि वह बलपूर्वक निर्णय या एकतरफा उपायों को स्वीकार करेगा।

उन्होंने कहा कि उन्हें यह समझना होगा कि भारत, भारत है। भारत एक सभ्यतागत राष्ट्र है। भारत किसी अन्य देश का अनुयायी नहीं बन सकता। भारत सभी के साथ मित्रता रखना चाहता है और व्यापार करना चाहता है, लेकिन वह हुक्म नहीं चला सकता।

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