अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर चल रहा है। चीन ने अमेरिका पर 84 फीसदी टैरिफ लगाया है वहीं अमेरिका ने चीन पर 125 फीसदी टैरिफ लगाया है। इसका असर दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ने वाला है। अब बड़ा सवाल यह उठा रहा है कि आखिर अमेरिका चीन से कौन से सामानों का आयात करता है और चीन, अमेरिका से कौन से सामानों का आयात करता है।
क्या है टैरिफ का मतलब?
टैरिफ का मतलब यह हुआ कि जैसे चीन ने अमेरिका पर 84 फीसदी का टैरिफ लगाया है, इसका मतलब यह हुआ कि अब चीनी कंपनियां अमेरिका में उत्पादित वस्तुओं को खरीदने के लिए 84 फीसदी अधिक भुगतान करेंगी। यानि पहले जो सामान चीनी व्यापारी अमेरिका से एक लाख में मंगाते थे, अब उसके लिए उन्हें 1.84 लाख रुपये देना होगा।
चीन कौन से सामान अमेरिका से खरीदता है?
चीन अमेरिका से एयरोस्पेस उत्पादन के पुर्जे खरीदता है और इसका व्यापार करीब 6.5 बिलियन डॉलर का है। वहीं चीन अमेरिका से कोयला और पेट्रोलियम गैस की भी आपूर्ति करता है, जिसका व्यापार करीब 1.1 बिलियन डॉलर का है। इसके अलावा चीन अमेरिका से कंप्यूटर उपकरण 1.8 बिलियन डॉलर, विद्युत उपकरण 1.3 बिलियन डॉलर, इंजन और टरबाइन का व्यापार करीब 1.4 मिलियन डॉलर, फल और सूखे मेवे का व्यापार 1.1 बिलियन डॉलर, इंडस्ट्रियल मशीनरी का कारोबार करीब 5 बिलियन डॉलर, मांस उत्पाद करीब 4.5 बिलियन डॉलर, कृषि उत्पादन करीब 2.4 बिलियन डॉलर, मोटर वाहन पुर्जे करीब 1.7 बिलियन डॉलर, मोटर वाहन करीब 6.5 बिलियन डॉलर का व्यापार करता है।
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अमेरिका चीन से क्या खरीदता है?
चीन अमेरिका को कई तरह के सामान बेचता है और वह अमेरिका का एक प्रमुख ट्रेड पार्टनर है। यहां तक कि अमेरिका की कई इलेक्ट्रॉनिक कंपनियां अपने उत्पादों का निर्माण चीन में ही करती है। इसमें आईफोन भी शामिल है। ऐसे में चीन अमेरिका को स्मार्टफोन, कंप्यूटर, टीवी, कपड़े, जूते, बच्चों के खिलौने, गेमिंग उपकरण, सोफा, टेबल, फर्नीचर, वाहनों के लिए पुर्जे और अन्य चीजों का निर्यात करता है।
हम संघर्ष नहीं चाहते- चीन
अमेरिकी टैरिफ पर चीन ने कहा कि वह संघर्ष नहीं चाहता है। अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्कों के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए चीन ने कहा कि वह अमेरिका द्वारा टैरिफ की लगातार धमकियों से नहीं डरेगा। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “अमेरिका का उद्देश्य लोगों का समर्थन नहीं जीत पाया और विफल हो जाएगा। चीन चुपचाप नहीं बैठेगा और अपने लोगों के वैध अधिकारों और हितों को वंचित नहीं होने देगा।”