डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ विवाद को लेकर बुधवार को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जजों से इस विषय पर शीघ्र निर्णय देने का आग्रह किया कि राष्ट्रपति को संघीय कानून के तहत व्यापक निर्यात कर लगाने का अधिकार है। अमेरिकी सरकार ने उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि वह अपीलीय अदालत के उस फैसले को पलट दे, जिसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अधिकतर शुल्कों को आपातकालीन शक्तियों से संबंधित एक कानून का गैरकानूनी तरीके से उपयोग करार दिया गया है।
यह ट्रंप प्रशासन की अपीलों की शृंखला में ताजा मामला है, जिसे उस उच्चतम न्यायालय में ले जाया गया है जिसे आकार देने में खुद ट्रंप की भूमिका रही है। यह मामला राष्ट्रपति की व्यापार नीति का मुख्य केंद्र है। संघीय सर्किट के लिए अमेरिकी अपीलीय अदालत ने शुल्कों को फिलहाल लागू रहने दिया है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने बुधवार देर रात दायर की गई याचिका में उच्चतम न्यायालय से शीघ्र हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। यह याचिका बुधवार देर रात ऑनलाइन रूप से दायर की गयी और ऐसी उम्मीद है कि इसे बृहस्पतिवार को मामलों की सूची में दर्ज कर लिया जाएगा।
ग्राहकों के लिए इस मामले के शीघ्र समाधान की उम्मीद
अमेरिका के सॉलिसिटर जनरल डी. जॉन सॉअर ने उच्चतम न्यायालय से अपील की है कि इस मामले पर सुनवाई शुरू की जाए और दलीलें नवंबर की शुरुआत में सुनी जाएं। उन्होंने कहा, ‘इस फैसले ने उन अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं पर अनिश्चितता की स्थिति पैदा कर दी है, जिन्हें राष्ट्रपति ने पिछले पांच महीनों से शुल्क के जरिए आगे बढ़ाया है। इससे पहले से तय ढांचागत समझौते और अभी जारी वार्ताएं दोनों ही खतरे में पड़ सकती हैं। इस मामले की अहमियत बेहद गंभीर है।’
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लिबर्टी जस्टिस सेंटर के वरिष्ठ वकील जेफ्री श्वाब ने कहा, ‘ये गैरकानूनी शुल्क छोटे व्यवसायों को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं और उनके अस्तित्व को खतरे में डाल रहे हैं। हम अपने ग्राहकों के लिए इस मामले के शीघ्र समाधान की उम्मीद करते हैं।’ हालांकि ट्रंप ने इन शुल्कों का इस्तेमाल यूरोपीय संघ, जापान और अन्य देशों पर दबाव बनाने के लिए किया है, ताकि वे नए व्यापार समझौते स्वीकार करें। अगस्त के अंत तक शुल्क से मिली राजस्व राशि 159 अरब डॉलर रही, जो पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा थी। अमेरिकी अपीलीय अदालत के अधिकांश न्यायाधीशों ने माना कि 1977 का ‘इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पॉवर्स एक्ट’ (आईईईपीए) ट्रंप को शुल्क लगाने के लिए संसद की शक्ति हथियाने की अनुमति नहीं देता।
असहमति जताने वाले न्यायाधीशों का तर्क था कि यह क़ानून राष्ट्रपति को आपात स्थिति में आयात नियंत्रित करने का अधिकार देता है, भले ही इसमें स्पष्ट सीमाएं न हों। यह फैसला उन आयात शुल्कों से जुड़ा है जिन्हें ट्रंप ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर उचित ठहराया था- एक अप्रैल में और दूसरा फरवरी में कनाडा, चीन और मैक्सिको से आयात पर। संविधान के अनुसार कांग्रेस को कर और शुल्क लगाने की शक्ति प्राप्त है, लेकिन पिछले दशकों में सांसदों ने यह अधिकार राष्ट्रपति को सौंप दिया है और ट्रंप ने इस शक्ति का भरपूर इस्तेमाल किया। सरकार ने तर्क दिया है कि अगर ये शुल्क निरस्त कर दिए गए, तो पहले से वसूले गए आयात शुल्क वापस करने पड़ सकते हैं, जिससे अमेरिकी खजाने को बड़ा वित्तीय झटका लग सकता है।