कोरोना संकट के बीच चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरफ से एक बड़ा बयान आया है। चीनी राष्ट्रपति ने अपने देश की सेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी से कहा है कि देश की संप्रभुता बनाए रखने के लिए वह युद्ध के लिए तैयार रहे। जिनपिंग ने देश के सुरक्षाबलों को कहा कि वे सैनिकों की ट्रेनिंग को मजबूत करें।

सरकारी मीडिया शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने चीनी राष्ट्रपति के हवाले से कहा कि राष्ट्रीय संप्रभुता की पूरी तरह से रक्षा और देश की समग्र सामरिक स्थिरता की रक्षा के लिए सैनिकों की ट्रेनिंग को व्यापक रूप से मजबूत करना और युद्ध के लिए तैयार करना महत्वपूर्ण है। चीनी राष्ट्रपति का यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका के साथ उसके रिश्ते चरम तनाव पर पहुंच चुके हैं।

इतना ही नहीं भारत के साथ भी सीमा विवाद को लेकर स्थिति तल्ख बनी हुई है। वहीं चीन में स्थानीय स्तर पर बलपूर्वक ताइवान को मिलाने जैसे संदर्भ दिए जा रहे हैं। साथ ही, हांगकांग के विशेष प्रशासित क्षेत्रों में नए और विवादास्पद कानून को लागू किया जा सकता है ताकि हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों की आवाज को दबाने का प्रयास हो सके।

दूसरी तरफ, सरकारी मीडिया ने मंगलवार को यह बताया कि ताईवान और दक्षिण चीन सागर पर चीन के दावे सहित चीनी भूभाग को सही तरीके से नहीं प्रदर्शित करने वाले नक्शों के मुद्दे का हल करने के लिये देश की राजधानी बीजिंग अभियान चलाएगी और इन गलतियों में सुधार करवाएगी।

गौरतलब है कि अरूणाचल प्रदेश और ताईवान को चीन के भूभाग के रूप में नहीं दिखाने को लेकर पिछले साल चीन ने तीन लाख नक्शों को नष्ट करने का आदेश दिया था। ये नक्शे विभिन्न देशों को निर्यात करने के लिये छापे गये थे। वहीं, भारत के साथ लद्दाख में एलएसी पर भी तल्खी देखने को मिल रही है।

दोनों पक्षों के बीच करीब 20 दिन तक चले गतिरोध के मद्देनजर भारतीय सेना ने उत्तर सिक्किम, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में संवेदनशील सीमावर्ती इलाकों में अपनी मौजूदगी उल्लेखनीय ढंग से बढ़ाई है और यह संदेश दिया है कि भारत चीन के किसी भी आक्रामक सैन्य रुख के आगे रुकने वाला नहीं है।

सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे लगभग हर दिन पूर्वी लद्दाख में तेजी से बदल रहे हालात के बारे में रक्षा मंत्री को जानकारी दे रहे हैं और यह तय किया गया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारतीय इलाकों में चीन के अतिक्रमण का कड़ा जवाब दिया जाएगा।