एक स्थानीय अदालत ने खुदकुशी के लिए उकसाने के एक मामले में एक व्यक्ति को दस जबकि उसकी मां को सात साल के कारावास की सजा सुनाई।
जिला न्यायाधीश मृदुला भाटिया ने नीरज मेहता (35) और उसकी मां सुनीता मेहता (64) को आईपीसी की धारा 306 (खुदकुशी के लिए उकसाना) के तहत क्रमश: दस और सात साल की सजा सुनाई।
दोनों को आईपीसी की धारा 498 ए (घरेलू हिंसा) के तहत भी तीन तीन साल की सजा सुनार्ई। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। अतिरिक्त लोक अभियोजक बुलेश्वर हिंगे ने अदालत को बताया कि नीरज ने वर्ष 2009 में नेहा से शादी की थी और उनके दो बच्चे हैं। वह एक पिज्जा आउटलेट में क्षेत्र प्रबंधक के रूप में काम करता था। अभियोजन के अनुसार, पीड़ित के ससुराल वाले उसे कई मौकों पर यातनाएं देते थे जिसके कारण उसने 28 सितंबर 2014 को नवी मुंबई के नरूल में अपने घर में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली।