Chinese soldiers stopped Indian shepherds at Demchok in Ladakh: पूर्वी लद्दाख के देमचोक इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हाल ही में चीनी सैनिकों ने भारतीय चरवाहों को आगे बढ़ने से रोक दिया। इस मामले पर दोनों देशों के बीच कमांडर्स स्तर पर बातचीत चल रही है। अफसरों का कहना है कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच इसको लेकर कोई टकराव नहीं हुआ। स्थानीय लोगों के मुताबिक 21 अगस्त को कुछ चरवाहे एलएसी पर भारतीय क्षेत्र में थे, लेकिन चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने उस क्षेत्र को अपना होने का दावा करते हुए उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जताई।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘इन क्षेत्रों में इस तरह की घटनाएं दोनों पक्षों की अलग-अलग धारणाओं की वजह से होती हैं।” कहा कि दोनों सेनाओं के एरिया कमांडरों के बीच बाद में हुई बातचीत में इस घटना का जिक्र हुआ। पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर दोनों पक्षों के बीच लंबे समय से सैन्य गतिरोध कायम है। भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि एलएसी पर शांति भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

2020 के बाद से दोनों देशों की सेनाओं में 16 दौर की बातचीत हुई

पैंगोंग झील क्षेत्र में 5 मई, 2020 को हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के हल के लिए भारतीय और चीनी सेनाओं ने 16 दौर की बातचीत की है। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे हजारों सैनिकों के साथ-साथ भारी हथियार तैनात किए हैं। इस बीच, वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटना से संबंधित एक रिपोर्ट का जिक्र करते हुए ट्विटर पर कहा, ‘‘सरकार पूरी तरह से इनकार कर रही है जबकि चीन हमारी क्षेत्रीय संप्रभुता को चुनौती देता है।’’

एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने कहा कि चरवाहे इस क्षेत्र में लगातार आते रहे हैं और 2019 में भी मामूली हाथापाई हुई थी। उन्होंने कहा, ‘इस बार जब चरवाहे जानवरों के साथ गए तो चीनियों ने आपत्ति जताई कि यह उनका इलाका है। इस मुद्दे को चीनियों के साथ उठाया गया था। एक रक्षा सूत्र ने बताया कि दोनों सेनाओं के बीच कोई आमना-सामना नहीं हुआ।

सूत्र ने कहा, “इस मुद्दे को सुलझाने और एलएसी पर शांति बनाए रखने के लिए स्थानीय स्तर पर कमांडरों के बीच एक नियमित बातचीत थी।” यह प्रोटोकॉल के हिस्से के रूप में एलएसी के साथ नियमित रूप से होता है।