चीन ने बुधवार को अमेरिका को चेतावनी दी कि यदि वह रूस से व्यापार को लेकर बीजिंग के खिलाफ कोई कार्रवाई करता है तो उसे जवाब दिया जाएगा। चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस आलोचना को खारिज कर दिया कि भारत और चीन रूसी तेल की खरीद के जरिये यूक्रेन युद्ध के ‘प्राथमिक वित्तपोषक’ (Primary Funders) हैं।

बीजिंग ने कहा है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) भी मॉस्को के साथ व्यापार कर रहे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने बुधवार को संवाददाताओं को संबोधित करते हुए ट्रंप की आलोचना को खारिज कर दिया और कहा कि यूरोपीय संघ के अलावा अमेरिका स्वयं भी रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए है।

चीन का रुख निष्पक्ष है- विदेश मंत्रालय

जियाकुन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में ट्रंप की टिप्पणी पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि यूक्रेन संकट पर चीन का रुख निष्पक्ष है तथा वह शांति के लिए वार्ता को बढ़ावा देता है। गुओ ने कहा, “अमेरिका और यूरोपीय देशों सहित दुनिया के अधिकांश देश रूस के साथ व्यापार करना जारी रखे हुए हैं।” उन्होंने कहा, ‘‘चीनी और रूसी कंपनियों के बीच सामान्य आदान-प्रदान और सहयोग विश्व व्यापार संगठन के नियमों और बाजार सिद्धांतों के अनुरूप हैं।’’

जियाकुन ने कहा, “चीन अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए जो भी आवश्यक होगा, वह करेगा।”

क्या कहा था ट्रंप ने?

मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में ट्रंप ने चीन और भारत पर आरोप लगाया कि दोनों देश रूसी तेल खरीदना जारी रखकर यूक्रेन युद्ध के “प्राथमिक वित्तपोषक” बने हुए हैं। उन्होंने रूस से यूरोपीय संघ के निरंतर ऊर्जा आयात की आलोचना की लेकिन वाशिंगटन के मॉस्को के साथ अपने व्यापार को लेकर वह चुप रहे।

ट्रंप ने कहा, “यह अक्षम्य है कि नाटो देशों ने भी रूसी ऊर्जा और रूसी ऊर्जा उत्पादों पर ज्यादा रोक नहीं लगाई है… सोचिए, वे अपने ही खिलाफ युद्ध को वित्तपोषित कर रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा कि जब उन्हें यह बात पता चली तो वे इससे खुश नहीं हुए।

भारत पर 25 प्रतिशत एडिशनल टैरिफ

ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत एडिशनल टैरिफ लगाया है, जिससे अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है।