संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर मुद्दे पर चर्चा कराने की कोशिश में पाकिस्तान के दोस्त चीन को झटका लगा है। चीन की इस कोशिश का अमेरिका और फ्रांस के नेतृत्व में अन्य सदस्यों ने खासा विरोध किया, जिसके चलते चीन को पीछे हटना पड़ा। चीन इससे पहले पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त होने के 11 दिन बाद 16 अगस्त को यूएनएससी बंद कमरे (क्लोज डोर) में बातचीत आयोजित कराने में कामयाब रहा था।
सूत्रों ने बताया कि इस बार बीजिंग ने UNSC को एक नोट भेजा, जिसमें कहा गया कि ‘कश्मीर ब्रीफिंग’ के लिए पाकिस्तान के अनुरोध को प्रतिध्वनित किया जाए। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने 12 दिसंबर को यूएनएससी को इस बाबत एक पत्र लिखा था, जिसमें कश्मीर की स्थिति की बारे में चिंता व्यक्त की गई। मगर अमेरिका ने चीन की इस नई मांग को मानने से इनकार कर दिया।
बता दें कि अमेरिका दिसंबर महीने में यूएनएससी की अध्यक्षता करता है। अमेरिका के इस रुख का फ्रांस ने भी समर्थन किया, साथ ही कहा कि कश्मीर मुद्दे पर द्विपक्षीय चर्चा होनी चाहिए। सूत्रों के मुताबिक फ्रांसीसी राजनयिक में कहा, ‘हमारी स्थिति बेहद स्पष्ट रही है। हमने हाल में संयुक्त राष्ट्र सहित कई बार यह रेखांकित किया है। इसमें न्यूयॉर्क की बैठक भी शामिल हैं।
सत्रों के मुताबिक सदस्यों देशों के विरोध के चलते चीन ने अपने इस अनुरोध को वापस ले लिया है और कश्मीर मुद्दे पर UNSC में चर्चा नहीं होगी। तय कार्यक्रमों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में दक्षिण सूडान के मुद्दे पर बातचीत हुई। जिसमें करीब 850 भारतीय शांतिरक्षकों को संघर्ष प्रभावित देश में शांति के प्रयासों तथा स्थानीय समुदायों का समर्थन करने की दिशा में योगदान के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रतिष्ठित पदक से सम्मानित किया गया है।
भारत संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षण अभियानों में सर्वाधिक सैनिक भेजने वाला देश है। फिलहाल दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनएमआईएसएस) में 2342 भारतीय सैनिक और 25 पुलिसकर्मी तैनात हैं। यूएनएमआईएसएस ने कहा कि संघर्ष प्रभावित दक्षिण सूडान में शांति के लिए भारतीय शांतिरक्षकों के योगदान को चिह्नित किया गया है। (भाषा इनपुट)