अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी के रवाना होने के थोड़ी ही देर बाद 27 चीनी लड़ाकू विमान ताइवान के हवाई क्षेत्र में जबरन घुस गए। पेलोसी के दौरे के ऐलान के बाद से ही चीन लगातार अमेरिका और ताइवान को धमका रहा था। लेकिन ताइवान ने उसकी बात को अनसुना कर दिया। पेलोसी की ताइवान में मौजूदगी तक चीन केवल घुड़कियां देता रहा। उनके रवाना होते ही उसने अपनी वायु सेना की ताकत दिखा दी।

न्यूज एजेंसी AP के मुताबिक पेलोसी मंगलवार देर रात ताइवान पहुंची थीं। पेलोसी के पहुंचते ही चीन आगबबूला हो गया और ताइवान पर कई प्रतिबंध लगा दिए। इतना ही नहीं चीनी सेना ने 21 सैन्य विमानों से ताइवान के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में उड़ान भरकर अपनी ताकत दिखाई।

ताइवान यात्रा समाप्त करने के बाद अमेरिकी संसद की स्पीकर नैंसी पेलोसी दक्षिण कोरिया पहुंची ही थीं कि चीन के 27 वॉर प्लेन ताइवान की हवाई सीमा के भीतर जा घुसे। ऐसा लगता है कि चीन ताइवान को सबक सिखाने पर आमादा है। अमेरिकी स्पीकर के दौरे ने उसे और भड़का दिया है।

हालांकि ताइवान की सरकार चीन की धमकियों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती दिखी। पेलोसी वहां पहुंची तो ताइवानी मंत्रालय ने उनका हार्दिक स्वागत कर कहा कि इससे ताइवान-अमेरिका संबंधों के लिए उच्च-स्तरीय समर्थन और इसके व्यापक दायरे का पता चलता है। इससे हमारा द्विपक्षीय सहयोग और मजबूत होगा। यह 25 साल में यूएस हाउस स्पीकर की पहली यात्रा है।

ताइवान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक, स्पीकर पेलोसी के पहले एशियाई दौरे के कार्यक्रम में ताइवान को शामिल करना सम्मान को दर्शाता है। स्पीकर पेलोसी और कांग्रेस के अन्य प्रमुख सदस्यों की यात्रा ताइवान और अमेरिका के बीच घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण संबंधों को बढ़ाएगी और दोनों देशों के बीच व्यापक क्षेत्रों में वैश्विक सहयोग को और गहरा करेगी।

क्या है विवाद

ताइवान चीन से तकरीबन 100 मील दूर स्थिति एक द्वीप है। ताइवान खुद को संप्रभु राष्ट्र मानता है। उसका अपना संविधान है। ताइवान में लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार है। लेकिन चीन उसको अपना हिस्सा बताता है। हाालंकि ऐतिहासिक रूप से से देखें तो ताइवान कभी चीन का ही हिस्सा था। तभी चीन एकीकरण के लिए जोर दे रहा है। चीन ताइवान को फिर से अपने नियंत्रण में लेना चाहता है।