चीन के शिंजियांग प्रान्त में उइगर मुसलमानों पर हो रहे जुल्म की खबर से पूरी दुनिया वाक़िफ़ है। चीन के जिनपिंग सरकार की करतूतें आये दिन मीडिया की सुर्खियाँ बनी रहती हैं । चीन की सरकार उइगर मुसलमानों के अस्तित्व के ख़ात्मे के लिए भरसक प्रयास करती रहती है। कभी उइगर मुसलमानों के लंबी दाढ़ी रखने पर पाबंदी लगा दी जाती है तो कभी उनकी औरतों की नसबंदी कर दी जाती है। यहाँ तक कि तीन से अधिक बच्चे होने पर माता पिता को बच्चों से अलग कर डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाता है। शिंजियांग प्रान्त में  उइगर मुसलमानों की धार्मिक  आजादी तक छीन ली गयी है। इन इलाकों में बड़ी संख्या में मस्जिदों को ढहा दिया गया है। इसलिए कई मानवाधिकार कार्यकर्ता और सामाजिक मामलों के जानकार चीन सरकार की इस कारवाई को नरसंहार की संज्ञा दे रहे हैं।

इससे पहले भी कई बार अन्य संगठनों में चीन के इस कृत्य को नरसंहार का नाम दिया है । पिछले ही महीने कैंपेन फॉर उइगर्स नाम की संस्था ने एक रिपोर्ट जारी किया था। पूर्वी तुर्किस्तान में नरसंहार शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में भी चीन को कसूरवार ठहराया गया था ।असल में उइगर समुदाय पश्चिमी चीन के इलाके को पूर्वी तुर्किस्तान भी कहता है । साथ ही इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से चीन पर दवाब डालने और नरसंहार की जाँच करने का आग्रह किया गया था।

दरअसल इस्लाम को मानने वाले उइगर समुदाय चीन के सबसे बड़े और पश्चिमी क्षेत्र शिंजियांग प्रांत में रहता है। शिंजियांग प्रांत की सीमा मंगोलिया और रूस सहित आठ देशों के साथ मिलती है।  इसलिए उइगर समुदाय के लोग अपने आप को मध्य एशियाई देशों के नज़दीकी मानते हैं। ये खुद को तुर्क मूल का भी कहते हैं। पश्चिमी चीनी क्षेत्र में उइगर मुसलमानों की आबादी लगभग एक करोड़ से ऊपर है। पहले ये इस क्षेत्र में आबादी के हिसाब से बहुसंख्यक माने जाते थे। लेकिन जब से इस क्षेत्र में चीनी समुदाय हान की संख्या बढ़ी है और सेना की तैनाती हुई है तब से यह स्थिति बदल गई है। बीसवीं शताब्दी के शुरुआती दिनों में उइगर समुदाय ने अपने आप को थोड़े समय के लिए चीन से आज़ाद घोषित कर लिया था। लेकिन 1949 में कम्युनिस्ट चीन ने दोबारा से इस इलाके पर अपना नियंत्रण हासिल कर लिया था।

चीन की कम्युनिस्ट सरकार पर यह आरोप है कि है कि 1990 के दशक में शिंजियांग में हुए प्रदर्शनों और दोबारा 2008 में बीजिंग ओलंपिक के रन अप के दौरान हुए प्रदर्शनों के बाद उसने इस इलाके में दमन तेज कर दिया। यहाँ तक कि पिछले दशक में कई प्रमुख नेताओं को या तो जेल में ठूंस दिया गया या फिर उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया। साथ ही बीजिंग की सरकार पर आरोप है कि उसने दस लाख से अधिक उइगर मुसलमानों को हिरासत में ले लिया गया है और चीनी सरकार के री-एजुकेशन कैंपों में रखा है। जहाँ उनका राजनीतिक ब्रेनवाश किया जा रहा है। चीनी प्रशासन पर उइगर महिलाओं की जबरन नसबंदी और गर्भनिरोधक उपकरण लगाने का भी आरोप है।

ताकि इस इलाके में जनसंख्या पर काबू किया जा सके। उइगर समुदाय के लोग चीनी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि यहाँ सरकारी कार्यक्रमों की आड़ में भी हमारे समुदाय पर जुल्म ढहाया जाता है और जबरन परेशान किया जाता है। अभी कुछ समय पहले शिंजियांग प्रान्त में जिनपिंग सरकार ने सुधार कार्यक्रम शुरू किया है। इस अभियान के तहत मस्जिदों को ठीक करना था लेकिन इसकी आड़ में बड़े पैमाने पर मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों को तोड़ जा रहा है। यहाँ तक कि कई जगहों पर मस्जिदों को तोड़कर शौचालय बनवाया जा रहा है और कहीं कहीं शराब की दुकान तक खोली जा रही है। मीडिया में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मस्जिदों को सुधारने के नाम पर बीते दो साल में चीन की सरकार ने शिंजियांग की करीब 70% मस्जिदें ढहा दी है।

वही चीन की सरकार हमेशा से इस तरह के आरोप को नकारती है और कहती है कि उइगर चरमपंथियों ने इस इलाके में हिंसक अभियान छेड़ रखा है । वे आये दिन यहाँ बम हमले और तोड़ फोड़ जैसी घटना को अंजाम देते रहते हैं । साथ ही सरकार उइगर चरमपंथियों को आतंकी संगठन अलक़ायदा का हिस्सा मानती है । चीन कहता रहता है कि इन लोगों ने अफग़ानिस्तान में प्रशिक्षण हासिल किया है।

चीनी सरकार के इन आरोपों को उइगर समुदाय के लोग सच नहीं मानते हैं । उइगर समुदाय पर हो रहे अत्याचार को लेकर पहले भी कई देशों ने चीन के इस कदम की आलोचना तो की है लेकिन अभी तक अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है जिससे उइगर लोगों को राहत मिल सके।