चीन ने आज कहा कि वह मालदीव में जारी राजनीतिक उथल-पुथल के समाधान के लिए भारत से संपर्क में है और बीजिंग नहीं चाहता है कि यह मामला एक और ‘टकराव का मुद्दा’ बने। भारत के विशेष बलों की तैनाती के लिए तैयार होने से जुड़ी खबरों के बीच चीन के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बीजिंग इस बात पर कायम है कि किसी भी तरह का बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। उनके मुताबिक चीन मुद्दे के समाधान के लिए भारत के संपर्क में है।

सूत्रों ने बताया कि चीन नहीं चाहता है कि मालदीव एक और ‘टकराव का मुद्दा बने।’ डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध एवं संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में बीजिंग की बाधा से हाल में द्विपक्षीय संबंध प्रभावित हुए हैं। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच आज हुई बातचीत सहित मालदीव से संबंधित कई सवालों के जवाब में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मालदीव की संप्रभुता और स्वतंत्रता का सम्मान करना चाहिए।

बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने सोमवार को देश में आपातकाल घोषित कर दिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद के साथ कोर्ट के अन्य जज अली हमीद को गिरफ्तार कर लिया गया। सेना और पुलिस ने देश की संसद को सील कर दिया है। पूर्व लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित मालदीव के राष्ट्रपति मोहमद नाशीद ने भारत से अपनी आर्मी को देश में भेजकर उनकी मदद करने को कहा है। भारतीय और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई सदस्यों ने भारत से इस मामले में दखल देने को कहा है। उनका कहना है कि जिस तरह साल 1988 में भारतीय सेना ने ऑपरेशन कैक्टस चलाकर महत्वपूर्ण कदम उठाया था, उसी तरह भारत को फिर से मालदीव का रक्षक बनने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाना चाहिए। वहीं भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी किए गए एक बयान में कहा गया है कि सरकार मालदीव की स्थिति पर नजर बनाए हुए है। मालदीव पर आया यह राजनीतिक संकट चिंताजनक है।