ताइवान को हथियार बेचने को लेकर चीन ने अमेरिका के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। चीन का कहना है कि वह बोइंग और लॉकहीड मार्टिन समेत अमेरिकी कंपनियों पर विरोधी ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने को लेकर प्रतिबंध लगाएगा।

विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने सोमवार को यह जानकारी दी। प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि रेथियॉन भी प्रभावित होगी। उन्होंने यह विवरण नहीं दिया कि क्या पाबंदियां लगाई जा सकती हैं और कब। मालूम हो कि चीन और ताइवान 1949 के गृहयुद्ध में विभाजित हो गए थे और उनमें कोई कूटनीतिक रिश्ता नहीं है। हालांकि, चीन दावा करता है कि लोकतांत्रिक नेतृत्व वाला द्वीप उसके मुख्य भू-भाग का हिस्सा है और उस पर आक्रमण की धमकी देता है।

झाओ ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये चीन ने अमेरिका की उन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है, जो ताइवान को हथियारों की आपूर्ति में संलिप्त थीं।” मालूम हो कि अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर के साथ सामरिक व कूटनीतिक मोर्चे पर भी तल्खी बढ़ती जा रही है।

ऐसा अमेरिका की तरफ से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा ढांचे की पहल क्वाड को लेकर है। अमेरिका का कहना है कि चार देशों का समूह ‘क्वाड’ गठबंधन नहीं बल्कि वैसे देशों का समूह है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत बनाने के इच्छुक हैं।

इस समूह में जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका शामिल हैं। चीन दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में क्षेत्रीय विवाद में शामिल है। चीन पूरे दक्षिणी सागर पर अपना दावा करता है जबकि वियतनाम, मलेशिया, फिलिपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस पर दावा करते हैं। वहीं पूर्वी चीन सागर में चीन का विवाद जापान से चल रहा है।

दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर को खनिज, तेल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से समृद्ध माना जाता है और यह वैश्विक कारोबार के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। हालांकि अमेरिका इस विवादित जल क्षेत्र पर अपना दावा नहीं करता है लेकिन वह चीन के दावे को युद्धक विमान, युद्धक पोत आदि की तैनाती के साथ इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में गश्त और नौ परिवहन की स्वतंत्रता को लेकर चुनौती देता रहा है।

(एजेंसी इनपुट के साथ)